पूंजीगत व्यय पर समझौता नहीं : वित्त मंत्रालय

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 7:31 PM IST

वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी पर व्यय लक्ष्य के पार पहुंच जाने की उम्मीद है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इसके बावजूद व्यय में कोई बदलाव नहीं होगा और पूंजीगत व्यय से कोई समझौता नहीं होगा। दरअसल ऐसे समय में जब वृद्धि को बहाल करना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है, वित्त मंत्रालय के लिए राजकोषीय घाटे की तुलना में पूंजीगत व्यय ज्यादा अहम है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘सामान्यतया राजकोषीय घाटा प्राथमिकता में होता है। इस समय नेतृत्व की ओर से संदेश है कि पूंजीगत व्यय प्राथमिकता होनी चाहिए। कुल मिलाकर कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय और पूंजीगत व्यय को लेकर कोई समझौता नहीं होगा।’
राजकोषीय घाटा या बजट घाटा केंद्र या किसी राज्य के व्यय और राजस्व के बीच अंतर को कहते हैं। जब राजस्व कम होता है और व्यय अधिक होता है तो राजकोषीय घाटा होता है। इसका मापन नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत में होता है और यह कर्ज जीडीपी अनुपात के साथ सरकार की वित्तीय सेहत का सबसे अहम संकेतक होता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 23 के लिए केंद्र का पूंजीगत व्यय बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। बुनियादी ढांचे पर सार्वजनिक निवेश सरकार का लक्ष्य रहा है और मोदी सरकार इसके सहारे देश आर्थिक पुनरुद्धार पर दांव लगा रही है। इन आंकड़ों में 1 लाख करोड़ रुपये दीर्घावधि ब्याज रहित ऋण शामिल है, जो राज्यों के पूंजीगत व्यय की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिया गया है। इस पूंजीगत व्यय से 111 लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन को बल मिलेगा।
जैसा कि पहले खबर दी गई थी, केंद्र का उर्वरक सब्सिडी पर व्यय इस साल बढ़कर 2.10 से 2.30 लाख करोड़ रुपये हो सकता है क्योंकि यूरोप के युद्ध के बाद इस जिंस के साथ तेल की कीमत बढ़ी है। यह उर्वरक सब्सिडी पर किया गया अब तक का सबसे ज्यादा व्यय होगा, जिसके लिए वित्त वर्ष 23 के बजट में 1.05 लाख रुपये व्यय का अनुमान लगाया गया था।
इसके साथ ही मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना (पीएमजीकेएवाई) का विस्तार सितंबर तक करने का फैसला किया है। इसकी वजह से खाद्य सब्सिडी पर आवंटन वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 2.86 लाख करोड़ रुपये हो जाने की संभावना है, जबकि बजट अनुमान 2.06 लाख करोड़ रुपये का था।
यह अवधारणाएं 2022 के केंद्रीय बजट के मुताबिक बनाई गई थीं। गणनाओं से पता चलता है कि पीएमजीकेएवाई के विस्तार के लिए 80,000 करोड़ रुपये आवंटन के साथ वित्त वर्ष 23 में राजकोषीय घाटा का बजट अनुमान (बीई) 16.6 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 17.4 लाख करोड़ हो जाएगा, जो जीडीपी का 6.74 प्रतिशत होगा, जबकि बजट अनुमान 6.4 प्रतिशत का था।
उर्वरक सब्सिडी में 1 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी और खाद्य सब्सिडी बढऩे से वित्त वर्ष 22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 7.13 प्रतिशत हो जाएगा।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘कर राजस्व के हिसाब से हम एक और बेहतरीन साल की उम्मीद कर रहे हैं। अगर कल्याणकारी योजनाओं या सब्सिडी व्यय पर अतिरिक्त धन की जरूरत होती है, वह आगामी पूरक अनुदान मांग से दिया जाएगा। बहरहाल हमारा पूंजीगत व्यय कार्यक्रम निर्बाध रूप से जारी रहेगा।’
अब केंद्र की मुख्य चिंता कोविड-19 की तीन लहरों के बाद की सुस्ती से अर्थव्यवस्था को निकालना है। जिंसों के बढ़ते वैश्विक दाम और रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद से आपूर्ति शृंखला में बाधा से एक नया व्यवधान आया है।
युद्ध तीसरे महीने में प्रवेश कर गया है, ऐसे में उद्योग संगठनों एसोचैम और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रमखों ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ अलग-अलग साक्षात्कार में कहा कि कंपनियां पूरे इनपुट लागत का बोझ ग्राहकों पर डालने में सक्षम नहीं होंगी और इस तरह से उनका मुनाफा प्रभावित हो सकता है।
इसका मतलब यह भी है कि निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय की बहाली में देरी हो सकती है और ऐसे में सार्वजनिक निवेश ज्यादा अहम होगा। सीआईआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा कि परंपरागत बुनियादी ढांचा क्षेत्र जैसे सड़क, रेलवे, बंदरगाह, उड्डन आदि को केंद्र के पूंजीगत व्यय से बढ़ावा मिलेगा और इससे गतिविधियों के जारी रहने को बल मिल सकता है।

First Published : April 27, 2022 | 1:46 AM IST