केंद्र सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) में स्थित इकाइयों को अप्रत्याशित लाभ कर (विंडफॉल टैक्स) से छूट देने की घोषणा की है। इसके साथ ही वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम में नरमी आने के बाद पेट्रोलियम उत्पादों पर तीन हफ्ते पहले लगाए गए निर्यात शुल्क में भी कटौती की है। यह नियम 20 जुलाई से प्रभावी हो गया है। माना जा रहा है कि इससे रिलायंस इंडस्ट्रीज को सबसे अधिक फायदा होगा क्योंकि उसका 55 फीसदी रिफाइनिंग उत्पादन जामनगर की एसईजेड की दो इकाइयों में होता है। इसके अलावा ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को भी इसका लाभ मिलेगा।
सरकार ने अधिसूचना में कहा, ‘सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाइयों से निर्यात किए जाने वाले उत्पादों को शुल्क से छूट देने का निर्णय किया है।’अधिसूचना के मुताबिक पेट्रोल के निर्यात पर लगाया गया 6 रुपये प्रति लीटर निर्यात शुल्क खत्म कर दिया गया है। डीजल एवं एटीएफ के निर्यात पर लगने वाले कर में 2-2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई है। देश में निकले कच्चे तेल पर लगने वाला कर भी 23,250 रुपये प्रति टन से घटाकर 17,000 रुपये प्रति टन कर दिया गया है।
सरकार ने निर्यात-केंद्रित एसईजेड में स्थित रिफाइनरियों से विदेश भेजे जाने वाले उत्पादों को भी इस शुल्क से राहत देने की घोषणा की। पहले सरकार ने निर्यात-केंद्रित एसईजेड में स्थित रिफाइनरी को कर दायरे में रखा था। इस घोषणा से रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा पहुंचने की उम्मीद है। सरकार ने तेल कारोबार से जुड़ी कंपनियों को होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर 1 जुलाई से कर लगा दिया था। लेकिन कुछ दिन बाद ही कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से गिरावट आई है। इससे तेल उत्पादकों और रिफाइनरी कंपनियों के लाभ मार्जिन पर असर पड़ा है। वैश्विक मंदी की चिंता गहराने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई है। मंदी की स्थिति में मांग घटने की आशंका हावी होने से डीजल, पेट्रोल और एटीएफ पर कंपनियों का मार्जिन कम हो गया है। 1 जुलाई को पेट्रोल एवं एटीएफ पर 6 रुपये प्रति लीटर निर्यात शुल्क का प्रभावी असर 12 डॉलर प्रति बैरल था और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर शुल्क 26 डॉलर प्रति बैरल के बराबर था। देश में निकले कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन का अप्रत्याशित लाभ कर 40 डॉलर प्रति बैरल के बराबर था। अप्रत्याशित लाभ पर कर लगने के बाद पेट्रोल पर प्राप्ति लगभग घाटे के स्तर पर यानी दो डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। डीजल पर भी इसकी वजह से लाभ काफी सीमित रह गया। जब सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर कर लगाने की घोषणा की थी तो साल भर में करीब एक लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने का अनुमान लगाया गया था।
कच्चे तेल के देश में उत्पादन पर लगे अप्रत्याशित लाभ कर से ही 65,600 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान जताया गया था। लेकिन बीते दो-तीन सप्ताह में कच्चे तेल के मानक ब्रेंट क्रूड का अंतरराष्ट्रीय भाव 15 से 20 डॉलर प्रति बैरल तक कम हो चुका है। इस समय यह 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहा है। इसे देखते हुए ही शुल्क में कटौती की गई है।