सरकार ने पावर टिलर और इसके उपकरणों के आयात पर रोक लगा दी है। सरकार के इस कदम को देश में चीन से होने वाले इनके आयात को हतोत्साहित करने के तौर पर देखा जा रहा है। भारत में इस्तेमाल हो रहे कुल पावर टिलरों में से 30 फीसदी से अधिक चीन से आयात किए गए हैं।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, ‘पावर टिलरों और उसके पुर्जों के आयात नीति को संशोधित कर इसे मुक्त से प्रतिबंधित कर दिया गया है।’
किसी उत्पाद को प्रतिबंधित श्रेणी में डालने का मतलब होता है कि आयातक को उसके आयातों के लिए डीजीएफटी से लाइसेंस लेना होगा।
उद्योग से जुड़े सूत्रों ने कहा कि देश में चीन से अच्छी खासी संख्या में पावर टिलरों का आयात किया जाता है। ये या तो वहीं से पूरी तरह से विनिर्मित इकाई (सीबीयू) के रूप में आयात की जाती हैं या फिर वहां से इंजन जैसे महत्त्वपूर्ण पुर्जों का आयात कर यहां पर उसे असेंबल किया जाता है।
चीन से आयात होने वाले पावर टिलर और उसके पुर्जे भारत के मुकाबले 30,000 रुपये से 60,000 रुपये तक सस्ते होते हैं। इसके कारण घरेलू कंपनियों को चीनी विनिर्माताओं से टक्कर लेने में काफी मुश्किल होती है।
कुछ वर्ष पहले तक भारत के पावर टिलर बाजार में चीन की हिस्सेदारी महज 10 फीसदी थी लेकिन अब उसका कब्जा करीब 35 फीसदी बाजार पर है।
एक साल में देश में 40,000 से अधिक पावर टिलरों की बिक्री हुई है।
ऐसे छोटे किसान विशेष तौर पर पूर्व और पश्चिम भारत में जिनके पास बड़ी जोत नहीं हैं और वे महंगे ट्रैक्टर का बोझ नहीं उठा सकते, वे पावर टिलरों की खरीद का विकल्प चुनते हैं।
मोटे तौर पर पावर टिलर एक छोटे आकार के इंजन वाली बहुउपयोगी वाहन होती है। 8 अश्व शक्ति वाला यह वाहन ट्रैक्टर से मिलता जुलता होता है।
ज्यादातर इसका इस्तेमाल जमीन को तैयार करने के लिए किया जाता है। पावर टिलर के घटकों में इंजन, ट्रांसमिशन, चेसिस और रोटवेटर शामिल है।
एक औसत आकार के पावर टिलर की कीमत करीब 1,25,000 रुपये से 2,15,000 रुपये तक होती है, जबकि ट्रैक्टर की शुरुआती कीमत प्रति इकाई 4,00,000 रुपये से 5,00,000 रुपये के बीच होती है।
इस बीच सार्वजनिक नोटिस में महानिदेशालय ने आयात लाइसेंस देने के लिए एक प्रक्रिया का विवरण दिया है।
इसमें कहा गया है कि एक साल में किसी कंपनी/सभी कंपनियों को जारी अधिकार का संचयी मूल्य उस कंपनी द्वारा पिछले वर्ष (2019-20) में आयात किए गए पावर टिलरों के मूल्य के 10 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए। 10 फीसदी की सीमा पावर टिलरों के पुर्जों के आयात के लिए भी लागू होगी।
इसमें कहा गया है कि लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाला इस कारोबार में कम से कम तीन साल से होना चाहिए और उसने पिछले 3 वर्ष में कम से कम 100 पावर टिलरों की बिक्री की हो।
इसमें कहा गया है, ‘पावर टिलरों और उसके पुर्जों के आयात के लिए आयात प्राधिकार के लिए आवेदन करने के लिए केवल विनिर्माता ही योग्य हैं। आवेदक के पास प्रशिक्षण, बिक्री के बाद सेवा और कल पुर्जों के लिए संतोषजनक और प्रमाणित बुनियादी ढांचा होना चाहिए।’