जिन कंपनियों को नया यूनिफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस मिला है और जो अपनी हिस्सेदारी बेचकर बाजार से पैसा उगाह रही हैं।
उनकी राह में दूरसंचार विभाग (डीओटी) रोड़ा अटकाता नजर आ रहा है। विभाग चाहता है कि इन कंपनियों के लिए तीन साल तक किसी विशेष डिविडेंड की घोषणा न की जाए।
इससे जुड़े सूत्रों के मुताबिक यह नियम उन कंपनियों पर लागू नहीं होगा जिनके पास केवल तीन साल के लिए ही लाइसेंस है।
इसके अलावा जो कंपनियां अपने परिचालन का विस्तार करने के लिए दूसरे सर्किल में भी लाइसेंस हासिल करेंगी हैं, उन पर भी यह कानून लागू नहीं होगा। दूरसंचार विभाग ने यह सुझाव भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के पास भेज दिया है।
इस मामले में फैसला ट्राई को ही लेना है। इसके अलावा लाइसेंसधारकों के सुझावों पर भी ट्राई को ध्यान देना होगा। दूरसंचार विभाग की सिफारिशों को ऑपरेटरों द्वारा ‘विंडफाल गेन’ बनाने से रोकने की कोशिश के तहत भी देखा जा रहा है।
टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (टीटीएसएल) ऐसी कंपनी है जिसने हाल ही में इक्विटी जारी की है। कंपनी ने जापानी टेलीकॉम कंपनी ‘एनटीटी डो को मो’ को 2.7 अरब डॉलर में 20 फीसदी हिस्सेदारी बेची है। (इसमें से 6 फीसदी तो मौजूदा शेयरधारकों से ली गई है।)
कंपनी के एक प्रवक्ता का कहना है कि यह सिफारिशें उस पर लागू नहीं होंगी बल्कि यह तो नई कंपनियों के लिए हैं। यह उन पहली कंपनियों में से एक हैं जिन्होंने सीडीएमए तकनीक का इस्तेमाल कर देश भर में मोबाइल सेवाएं मुहैया कराईं।
यह कानून यूनिटेक वायरलैस जैसी कंपनियों पर लागू होगा जिसने अपनी हिस्सेदारी टेलीनॉर और स्वान टेलीकॉम जैसी कंपनियों को बेची है। कारोबार के जानकारों का मानना है कि इसके चलते उन कंपनियों पर प्रभाव पड़ेगा जो अपने शेयरधारकों को तोहफा देना चाह रही हैं।
जो ऑपरेटर अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं उनके लिए ट्राई पहले ही तीन साल के लिए ‘लॉक इन पीरियड’ की सिफारिश कर चुका है। ट्राई इस मामले में इस उद्योग से जुड़ी कंपनियों की राय भी लेना चाहता है और मौजूदा नियमों के तहत ही कोई आवश्यक सुधार करने का हामी नजर आ रहा है।