औपचारिक क्षेत्र के कर्मचारियों को जल्द ही कमचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से जुड़ा अपना पेंशन खाता मिल सकता है। इसमें कर्मचारियों को अपने अंशदान के हिसाब से लाभ मिलेगा, न कि फंडों के पूल के आधार पर। इस कदम से ज्यादा आमदनी वाले कर्मचारियों को ज्यादा पेंशन मिलेगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने दस्तावेजों को देखा है, जिसके मुताबिक ‘ईपीएस 1995 में संशोधनों (कर्मचारी पेंशन योजना, 1995) का खाका तैयार किया गया है और सदस्यों के व्यक्तिगत पेंशन खाते में समूह के आधार पर पेंशन देने की सिफारिश की गई है।’
परिभाषित अंशदान व्यवस्था के तहत ‘प्रत्येक सदस्य का व्यक्तिगत पेंशन खाता होगा और उसके लाभ सदस्य के खाते में आने वाले अंशदान से जुड़े होंगे’, जिस पर 9 सितंबर को होने वाली ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड आफ ट्रस्टी (सीबीटी) की बैठक में चर्चा की जाएगी। इस बैठक की अध्यक्षता श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार करेंगे।
बहरहाल नई व्यवस्था निजी क्षेत्र के नए कर्मचारियों पर लागू होगी, जो पुनरीक्षित योजना के अधिसूचित होने के बाद नौकरी शुरू करेंगे।
कर्मचारी अपने वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता या डीए) का 12 प्रतिशत इन योजनाओं में अंशदान करते हैं और 12 प्रतिशत अंशदान नियोक्ता द्वारा किया जाता है। इसमें से नियोक्ता के हिस्से से 8.33 प्रतिशत ईपीएस में जाता है। लेकिन कर्मचारियों के पेंशन खाते में अंशदान से प्रभावित हुए बगैर उन्हें एक नियत पेंशन मिलता है, जो उनके अंतिम कार्यकाल के 60 महीने के वेतन के मासिक भुगतान और डीए के आधार पर तय फार्मूले के मुताबिक निर्धारित होता है। ऐसा इसलिए है कि ईपीएस फंड एक पूल्ड खाता है और सदस्यों को 58 साल की उम्र पर पेंशन मिलता है, जिन्होंने कम से कम 10 साल कार्यकाल पूरा किया हो। ईपीएफओ के सीबीटी के सदस्य और भारतीय मजदूर संघ के महासचिव ब्रजेश उपाध्याय ने कहा, ‘अभी उपभोक्ता पेंशन खाते में कितना अंशदान करता है, उससे इतर पेंशन की गणना के लिए तय फॉर्मूला है। नई योजना से उन ग्राहकों को ज्यादा लाभ मिलेगा, जिनका वेतन अधिक है। उन्हें ज्यादा मुनाफे का अवसर मिलेगा।’ उपाध्याय उस समिति में शामिल थे, जिसने ईपीएफओ को सिफारिश की है। समिति का माना है कि इस योजना से पेंशन फंड दीर्घावधि के हिसाब से ज्यादा टिकाऊ साबित होगा।