टीके के बाद और राहत के उपाय

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:30 AM IST

मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने आज संकेत दिए कि कोविड-19 के टीके आने को लेेकर अनिश्चितता दूर होने के बाद सरकार मांग बढ़ाने के लिए नए वित्तीय उपायों की घोषणा कर सकती है और लोग भी पैसे खर्च कर सकते हैं।
उन्होंने चेताया कि बैंकों की मौजूदा सेहत को देखते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने बैंकों से अपील की कि चूक के मामले कम करने के लिए बड़ी कॉर्पोरेट उधारी में तकनीक और डेटा विश्लेषण का उपयोग करना चाहिए। पूंजी बाजार पर उद्योग संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम में अगले वित्तीय उपायों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘वित्तीय मदद को लेकर अगर-मगर की स्थिति नहीं है।’ सुब्रमण्यम ने कहा कि कोविड-19 का टीका अब ज्यादा दूर नहीं है और जब यह आएगा तो इस महामारी को लेकर बाजार में व्याप्त अनिश्चितता काफी हद तक कम हो जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘यदि टीका आ जाता है तो अनिश्चितता दूर होगी और मेरा मानना है कि वह समय वित्तीय प्रोत्साहनों के लिए सबसे उपयुक्त होगा। उससे निश्चित ही मांग बढ़ेगी, यहां तक की महंगी और दूसरे गैर-जरूरी उत्पादों की भी मांग बढ़ेगी।’
सबकी नजरें टिकी हैं कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) 15 अगस्त तक टीका लेकर आता है या नहीं। आईसीएमआर के प्रमुख बलराम भार्गव ने पिछले हफ्ते कहा था कि मनुष्यों पर टीके का परीक्षण विभिन्न जगहों पर शुरू किया जा रहा है और उनमें से प्रत्येक 1,000 स्वयंसेवकों पर क्लीनिकल परीक्षण करेंगे।
भार्गव ने कहा, ‘दुनिया भर में आपूर्ति किए जाने वाले 60 फीसदी टीके भारत में बने होते हैं…दुनिया के किसी भी हिस्से में तैयार होने वाले टीके का भारत या चीन में व्यापक स्तर पर उत्पादन किया जाएगा। हम जल्द से जल्द टीका लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।’ खबरों के अनुसार पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोरोनावायरस के लिए ऑक्सफर्ड टीके का उत्पादन पहले ही शुरू कर चुकी है। कंपनी की योजना अगस्त के अंत तक 20 से 30 लाख डोज तैयार करने की है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि सरकार वित्तीय मदद के लिए हर जरूरी चीज करने को तैयार है लेकिन इसमें समय और परिस्थिति काफी महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘जब तक अनिश्चितता व्याप्त है, तब तक लोगों की जेब में यदि पैसा है भी तब भी वह उसे बैंक में रखना ही पसंद करेंगे।’
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि मौजूदा समय में प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए खातों में सरकार द्वारा जमा राशि लोग खर्च करने के बजाय बचत कर रहे हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा था कि सरकार आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के लिए भविष्य में और कदम उठाने को तैयार है। कोरोनावायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार ने मई में 20.97 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा प्रोत्साहन पैकेज बताया गया था। इसमें कारोबार में सुधार और अर्थव्यवस्था को उबारने पर जोर दिया गया है।
विशेषज्ञों और विश्लेषकों का कहना है कि प्रोत्साहन की राजकोषीय लागत सरकार के दावे से काफी कम है। साथ ही इसमें ज्यादातर आपूर्ति पक्ष पर जोर दिया गया है और मांग पक्ष की अड़चनों पर ध्यान नहीं दिया गया है।

First Published : July 22, 2020 | 10:34 PM IST