अर्थव्यवस्था

GST कानून में पिछली ति​थि से संशोधन की तैयारी, रियल एस्टेट कंपनियों को लग सकता है झटका

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसका प्रभाव करीब 10,000 करोड़ रुपये का हो सकता है क्योंकि फैसला 1 जुलाई, 2017 से प्रभावी माना जाएगा।

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मोनिका यादव   
Last Updated- December 18, 2024 | 10:32 PM IST

वस्तु एवं सेवा कर परिषद शनिवार को होने वाली अपनी बैठक में केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) कानून में पिछली तारीख से संशोधन को मंजूरी दे सकती है। इससे सफारी रिट्रीट्स मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला निष्प्रभावी हो जाएगा जिसमें किराये की प्रॉपर्टी की निर्माण लागत पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के दावों की अनुमति दी गई थी। ऐसा हुआ तो रियल एस्टेट कंपनियों को झटका लग सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही थी। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसका प्रभाव करीब 10,000 करोड़ रुपये का हो सकता है क्योंकि फैसला 1 जुलाई, 2017 से प्रभावी माना जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि सीजीएसटी अधिनियम में इस्तेमाल किए गए शब्द ‘प्लांट ऐंड मशीनरी’ और ‘प्लांट ऑर मशीनरी’ अलग-अलग हैं जिन्होंने ‘प्लांट’ को परिभाषित करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत निर्धारित किए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आईटीसी के लिए पात्रता का मूल्यांकन हर मामले के आधार पर किया जाना चाहिए। उसमें करदाता के कारोबार की प्रकृति और मकान के उपयोग जैसे कारकों पर विचार किया जाना चाहिए।

इस मामले से जुड़े एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि जीएसटी परिषद की कानून समिति ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर गंभीरता से विचार किया। समिति ने अस्पष्टता दूर करने और भविष्य में मुकदमेबाजी को रोकने के लिए 1 जुलाई, 2017 से सीजीएसटी अधिनियम की धारा 17 (5) (डी) में आवश्यक संशोधन करने की सिफारिश की है। समिति ने पाया कि ‘प्लांट ऑर मशीनरी’ शब्द के बारे में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला जीएसटी परिषद के साथ-साथ विधायिका की मंशा को भी विफल करता है।

अ​धिकारी ने कहा, ‘कानून समिति ने पाया कि हर मामले में तथ्यों की जांच के आधार पर यह निर्धारित करना कि मु​श्किल है कि परिसंप​त्ति सीजीएसटी अधिनियम के तहत प्लांट के तहत आती है या नहीं। इससे काफी भ्रम एवं अराजकता पैदा हो सकती है जिससे मुकदमेबाजी बढ़ने की आशंका है। इसलिए यह सुचारु कर प्रशासन एवं कारोबारी सुगमता के लिहाज से उपयुक्त नहीं होगा।’

पीडब्ल्यूसी के टैक्स पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा कि नीतिगत दृष्टिकोण से देखा जाए तो निर्माण से जुड़े खर्च पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति दी जानी चाहिए। खास तौर पर ऐसे मामलों में जब निर्मित प्रॉपर्टी का इस्तेमाल सीधे तौर पर जीएसटी के तहत सेवाएं प्रदान करने में किया जाए।

उन्होंने कहा, ‘हम जीएसटी कानून को सरल बनाने पर विचार कर रहे हैं। इसलिए जीएसटी परिषद को इनपुट क्रेडिट संबंधी सभी प्रावधानों पर नए सिरे से विचार करना चाहिए और उसे अधिक उदार बनाना चाहिए।’

रस्तोगी चैंबर्स के संस्थापक अभिषेक ए रस्तोगी ने कई याचियों के लिए सर्वोच्च न्यायालय में दलीलें दी थी। उन्होंने कहा कि पिछली तारीख से प्रभावी होने वाला कोई भी संशोधन करदाताओं के लिए अनावश्यक चुनौतियां पैदा करेगा। निश्चित तौर पर उसका कैस्केडिंग प्रभाव दिखेगा जो जीएसटी के सिद्धांतों के खिलाफ है।

First Published : December 18, 2024 | 10:32 PM IST