आम के आम और गुठलियों के भी दाम

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 5:52 PM IST

राज्यों के परिवहन विभाग के बेड़े में पुराने और जर्जर हो चुके वाहनों की जगह नए वाहन शामिल करने के लिए केंद्र सरकार 4,000 करोड़ रुपये मुहैया कराने की योजना बना रही है।


यह योजना शुक्रवार को घोषित दूसरे राहत पैकेज का ही हिस्सा है। दरअसल, इसके जरिए जहां राज्य परिवहन विभाग नए वाहन खरीद सकेंगे, वहीं वाहन निर्माता कंपनियों की बिक्री भी बढ़ेगी।

सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, मौजूदा योजना के तहत इस तरह के फंड के दायरे में राज्य परिवहन विभाग को शामिल नहीं किया गया था।

लेकिन अब राज्य परिवहन विभाग को भी इसमें शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। शहरी विकास मंत्रालय प्रस्ताव में कुछ फेर-बदल कर रहा है, ताकि राज्य परिवहन विभाग को भी इस स्कीम का लाभ मिल सके।

उल्लेखनीय है कि जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण योजना के तहत केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय मिलकर फंड की व्यवस्था करते हैं। जिसके तहत शहरों में सड़क, सीवरेज और अन्य सेवाओं का विकास-विस्तार हो सके।

सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित योजना की विस्तृत घोषणा अगले एक-दो हफ्ते में करने की संभावना है। इसके तहत 30 जून, 2009 तक राज्य परिवहन विभाग को बसों की खरीद के लिए एकमुश्त रकम दी जा सकती है।

सरकार के इस कदम में राज्य परिवहन विभाग को लाभ होगा, क्योंकि घाटे में चलने वाले परिवहन विभाग के पास इतनी रकम नहीं होती है कि वे जर्जर पड़ चुके वाहनों को बदल सके। साथ ही इससे व्यावसायिक वाहन निर्माताओं को भी फायदा होगा, जिनमें अशोक लीलैंड और टाटा मोटर्स प्रमुख हैं।

दरअसल, मंदी के इस दौर में वाहन कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है। हालांकि फंड मुहैया कराने का प्रारूप क्या होगा, इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है।

सूत्रों के मुताबिक, इसके तहत कुल खर्च किए जाने वाले रकम में से तय हिस्सा राज्यों को दिया जाएगा, जबकि शेष रकम स्थानीय निकाय की ओर से खर्च किया जाना है।

हालांकि ज्यादातर स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से उन्हें लोन का विकल्प भी दिया जा सकता है। मौजूदा समय में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण योजना के तहत 40 लाख की आबादी वाले शहरों में खर्च की जाती है।

जिसमें 35 फीसदी हिस्सा केंद्र देता है, जबकि 15 फीसदी राज्य सरकार वहन करती है। शेष 50 फीसदी की व्यवस्था स्थानीय निकाय को करना पड़ता है। इसके लिए वह वित्तीय संस्थानों से कर्ज भी ले सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इसके लिए स्थानीय निकायों को कर्ज मुहैया कराते हैं।

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि इस योजना के तहत नई दिल्ली को भी लाभ होगा, ताकि 2010 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों तक परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सके।

राज्य परिवहन विभागों को नई बसों की खरीद के लिए मिलेगा 4000 करोड़ रुपये का फंड

ऑटो उद्योग को भी मिल सकेगी रफ्तार

First Published : January 5, 2009 | 11:46 PM IST