अर्थव्यवस्था

सवाल-जवाब: महंगाई दर 4 प्रतिशत रखने का अंतिम पड़ाव चुनौतीपूर्ण

Inflation Rate: महंगाई बहुत धीरे-धीरे घट रही है, हम इस पर नजर रख रहे हैं। हम महंगाई को नियंत्रण में चाहते हैं: शक्तिकांत दास

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- June 07, 2024 | 10:21 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र, एम. राजेश्वर राव, स्वामीनाथन जे और टी रबि शंकर के साथ मौद्रिक नीति की समीक्षा जारी करने के बाद मीडिया से बातचीत की। प्रस्तुत है संपादित अंश…

क्या अर्थव्यस्था में ओवरहीटिंग के कोई संकेत हैं? क्या ब्याज दरों में वृद्धि का दौर खत्म हो गया है?

माइकल पात्र : हमें ओवरहीटिंग का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। याद रखिए, महामारी के दौरान उत्पादन का स्तर बेहद नीचे गिर गया था। हम वृद्धि की उच्च दर की बदौलत उस स्तर पर पहुंच पाए हैं। लिहाजा ओवर हीटिंग का कोई संकेत नहीं है। ब्याज दरों की वृद्धि का दौर खत्म होने के संबंध में कहा जाए तो कोई भी संभावना खत्म नहीं हुई है।

पिछले बार कहा गया था कि महंगाई मुश्किल दौर के बाद सामान्य स्थिति की ओर आ रही है। आपके आकलन के अनुसार हम अवमुद्रास्फीति प्रक्रिया में कहां हैं?

शक्तिकांत दास : महंगाई बहुत धीरे-धीरे घट रही है। हम इस पर नजर रख रहे हैं। हम महंगाई को नियंत्रण में चाहते हैं। कहने का अर्थ यह है कि हम महंगाई को लक्ष्य के दायरे में लंबे समय तक रखना चाहते हैं। महंगाई को 4 फीसदी के दायरे में रखने के प्रयास का अंतिम दौर बेहद मुश्किल है और यह पूरी दुनिया का हाल है। महंगाई रूपी हाथी बहुत धीमे-धीमे आगे बढ़ रहा है और हमें अत्यधिक निगरानी रखनी होगी।
मौद्रिक नीति पर चुनाव का क्या प्रभाव पड़ा है? आपको लगता है कि लोकप्रिय नीतियों से राजकोषीय समेकन प्रभावित होगा?

दास : यह सवाल अटकलों पर आधारित है। यह सवाल सरकार से संबंधित है और मैं इस समय राजकोषीय समेकन पर टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हूं।

क्यों आपको यह लगता है कि वित्त वर्ष 24 की तुलना में वित्त वर्ष 25 में वृद्धि 100 आधार अंक कम होगी?

पात्र : यह सालाना वृद्धि दर है और यह वित्त वर्ष 23-24 के उच्च आधार से प्रभावित होगी। लेकिन गति ऊंची है।

7.2 फीसदी वृद्धि के साथ क्या जोखिम हैं?

पात्र : हम मुख्य तौर पर वैश्विक जोखिम को देख रहे हैं। इनमें कच्चे तेल का दाम और भू-राजनीतिक संघर्ष आदि शामिल हैं। घरेलू स्तर पर हम सामान्य मॉनसून की उम्मीद कर रहे हैं और मौसम की अत्यधिक विकट स्थितियों का सामना नहीं करेंगे।

क्या नीति में कोई बदलाव है कि हम भारत में अधिक सोना रखने का प्रयास कर रहे हैं? क्या इसमें बदलाव भू-राजनीतिक दबाव के कारण किया गया है?

दास : लंबे समय से देश के बाहर रखे सोने की मात्रा स्थिर थी। हाल के समय में आंकड़े दर्शाते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक अपने रिजर्व के लिए सोना खरीद रहा है। इससे सोने की मात्रा बढ़ती जा रही थी। हमारे पास घरेलू क्षमताएं भी हैं, इसलिए इसका कुछ हिस्सा देश में रखा जाना चाहिए। बात बस इतनी है। इससे अलग कुछ मायने नहीं निकाले जाने चाहिए।

आपने कहा कि मौद्रिक नीति के फैसले घरेलू कारकों पर निर्भर होते हैं। यह नरम रुख का संकेत देते हैं। ऐसे में यूएस फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें कम नहीं किए जाने के बाद भी जब घरेलू स्थितियां अनुकूल होंगी तो आप ब्याज दरों को कम कर सकते हैं। क्या यह कहना सही है?

दास : इसका उलट भी सही हो सकता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए यदि फेड ब्याज दरों को सुस्त करता है तो हम नहीं भी कर सकते हैं। इसलिए हमने जो किया है, वह मैंने आपको समग्र दृष्टिकोण समझाया है। मैं यह पहले भी विस्तार से समझा चुका हूं। मैं इसे फिर स्पष्टता के साथ दोहराऊंगा।

First Published : June 7, 2024 | 10:21 PM IST