कोविड के कारण प्राप्तियां कम होने से रेलवे को मौजूदा खर्च वहन करने के लिए वित्त वर्ष 21 में पेंशन कोष को भी खाली करना पड़ेगा। हालांकि रेलवे कर्मचारियों को इसकी वजह से पेंशन नहीं गंवाना पड़ेगा, क्योंकि यह रेलवे की प्रतिबद्धता वाली देनदारी है, लेकिन इससे संगठन की वित्तीय स्थिति का पता चलता है कि स्थिति कितनी डांवाडोल हो चुकी है।
रेलवे ने वित्त मंत्रालय से मिले विशेष समर्थन से 79,398 करोड़ रुपये बचाए थे। रेलवे का यह वित्त वर्ष 131.49 प्रतिशत परिचालन अनुपात पर खत्म हो सकता है। यह रेलवे का अब तक का सबसे उच्च परिचालन अनुपात है।
दरअसल कोविड के पहले से ही आंकड़े खराब होने शुरू हो गए थे। कुछ साल से रेलवे अपनी पेंशन देनदारी के कारण प्रावधानों के तहत रहा है। कोविड-19 के कारण यह बढ़ गया। बुनियादी ढांचे के इस संगठन का वित्त वर्ष 20 का भी अनुमान भी प्रभावित रहा है। रेलवे के अपने अनुमानों के मुताबिक रेलवे के राजस्व 2019-20 के वास्तविक आंकड़ों व 2020-21 के पुनरीक्षित अनुमानों के अनुसार परिचालन अनुपात 114.19 रहेगा। यह वित्त वर्ष 21 के बाद दूसरा सबसे बुरा आंकड़ा होगा।
रेलवे को ‘2020-21 में कोविड से जुड़े संसाधन के अंतर के लिए सामान्य राजस्व से विशेष कर्ज के माध्यम से और 2019-20 के सार्वजनिक खाते में विपरीत संतुलन को पेंशन फंड में डालकर’ बचाया गया था। संगठन वित्त वर्ष 20 में कोष में सिर्फ 20,708 करोड़ रुपये देने में सफल रहा, जो रेलवे के पेंशन खर्च के लिए समर्पित है। पिछले कुछ वर्षों में यह सालाना औसतन 50,000 करोड़ रुपये रहा है। यह धन रेलवे के राजस्व से मुहैया कराया गया। लेकिन कोविड के पहले भी रेलवे के पास धन की इतनी कमी थी कि वार्षिक देनदारी के एक तिहाई की ही पूर्ति की जा सकती थी। ऐसा 53,100 करोड़ रुपये के बजट अनुमान में उल्लेख के बाद था। वित्त वर्ष के अंत के स्थानांतरण के बाद रेलवे एकदम खाली था, उसके बाद कोविड का हमला हो गया।
वित्त वर्ष 22 में रेलवे 53,300 करोड़ रुपये के आंकड़े दिए हैं, जो वह उपलब्ध कराने में सक्षम हो पाएगा।