बॉन्ड बाजार के लिए तरलता बरकरार : आरबीआई

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 7:51 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर से बॉन्ड बाजार कारोबारियों से ‘प्रतिफल के क्रमबद्घ विकास’ में सहयोग करने को कहा है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सीएनबीसी टीवी18 के साथ एक साक्षात्कार में हालांकि इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी कि क्या 10 वर्ष के लिए 6 प्रतिशत बॉन्ड प्रतिफल संयमित सीमा है, लेकिन कहा कि बॉन्ड बाजार को नकदी समर्थन को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘ओवरनाइट लिक्वीडिटी विंडो उपलब्ध है। बाजार इसे लेकर आश्वस्त है कि नकदी पर्याप्त होगी।’
गवर्नर ने कहा कि परिवर्तनीय दर रिवर्स रीपो पेश कर नकदी स्थिति को सामान्य बनाना सब कुछ सामान्य बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा है और यह तरलता की व्यवस्था समाप्त करने के आरबीआई के इरादे का संकेत नहीं है। 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल इस साक्षात्कार से पहले 6.15 प्रतिशत था जो बढ़कर 6.16 प्रतिशत पर पहुंच गया।
दास के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का स्वागत किया है, लेकिन क्रिप्टोकरंसी के साथ समस्याएं सामने आई हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें क्रिप्टो को लेकर कुछ चिंताएं हैं जिनसे हमने सरकार को अवगत कराया है।’ आरबीआई डिजिटल मुद्रा पर काम कर रहा है, लेकिन इस संबंध में कई खामियों को दूर किए जाने की जरूरत है। उन्होंने डिजिटल मुद्रा की पेशकश के लिए किसी समय-सीमा पर कोई टिप्पणी नहीं की। साक्षात्कार में गवर्नर ने कहा कि उदार मुद्रास्फीति पर रिपोर्ट अगले कुछ दिन में आएगी। मुद्रास्फीति उम्मीदें मौजूदा समय में मजबूत हैं।
शायद किसी अन्य परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) की जरूरत नहीं है, जैसा कि आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था। आरबीआई के बड़े ऋण डेटाबेस ने उसे ऋणों की स्थिति पर सही समय पर नजर रखने में सक्षम बनाया है और निगरानी में इजाफा हुआ है। पिछली एक्यूआर के समय, आरबीआई के साथ कोई सीआरआईएलसी सूचना डेटाबेस नहीं था।
गवर्नर ने कहा, ‘हमारी विचारधारणाएं और दृष्टिकोण अब काफी ऊंचे हैं। जब हम दबाव के किसी खास संकेत को देखते हैं तो हमें तुरंत बैंकों को इस दिशा में काम करने की सलाह देनी चाहिए।’ औद्योगिक घरानों के लिए बैंकिंग लाइसेंस के सवाल पर, गवर्नर ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि जो भी आरबीआई के नियमों पर खरा उतरेगा, उसे लाइसेंस मिलेगा। बैंकों का निजीकरण एक सरकारी निर्णय है और इसके लिए बैंक नैशनलाइजेशन ऐक्ट में संशोधन करना होगा, जिस पर काम हो रहा है।

First Published : February 24, 2021 | 11:17 PM IST