अर्थव्यवस्था

RBI MPC Meet: महंगाई में कमी को लेकर भरोसे की वजह से रुख में किया बदलाव- गवर्नर दास

RBI गवर्नर ने कहा, ‘‘ अनिश्चितताओं और जोखिमों को कम करके नहीं आंका जा सकता। ऐसे में नीतिगत दर में कटौती के समय के संदर्भ में विशेष रूप से बात करना उचित नहीं होगा।’’

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भाषा   
Last Updated- October 09, 2024 | 6:43 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बुधवार को कहा कि निकट भविष्य में मुद्रास्फीति कम होने को लेकर भरोसा है और इससे आर्थिक वृद्धि और महंगाई के बीच बेहतर संतुलन होगा। इसी को ध्यान में रखकर केंद्रीय बैंक ने नीतिगत रुख बदलकर ‘तटस्थ’ करने का निर्णय किया।

हालांकि, उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के लिए जोखिम बना हुआ है। इसमें वैश्विक स्तर पर जारी तनाव से जुड़े जोखिम शामिल हैं। ऐसे में अभी नीतिगत दर में कटौती के बारे में बात करना ‘उचित’ नहीं है।

उन्होंने मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘हमने इस समय रुख बदल दिया है। इसका कारण वृद्धि और मुद्रास्फीति की स्थिति अच्छी है और दोनों के बीच एक तरह का संतुलन है। इसीलिए, एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) ने रुख में बदलाव के लिए इसे उपयुक्त समय माना।’’

दास ने कहा, ‘‘हमें अब अधिक भरोसा है कि मुद्रास्फीति कम हो रही है, लेकिन हम अच्छी तरह से यह भी जानते हैं कि जोखिम भी बना हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि रुख में बदलाव से मौद्रिक नीति समिति को भविष्य में दर को लेकर लचीलापन और विकल्प मिलेगा। आरबीआई ने लगातार दसवीं बार नीतिगत दर को यथावत रखा है। हालांकि, रुख में बदलाव कर उसे तटस्थ किया। इससे आने वाले समय में नीतिगत दर में कमी की उम्मीद जगी है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘ अनिश्चितताओं और जोखिमों को कम करके नहीं आंका जा सकता। ऐसे में नीतिगत दर में कटौती के समय के संदर्भ में विशेष रूप से बात करना उचित नहीं होगा।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या दिसंबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद है, डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने कहा कि पूरा ध्यान मुद्रास्फीति में निकट अवधि में तेजी की आशंका पर केंद्रित है।

आरबीआई का अनुमान है कि अक्टूबर में मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से अधिक रह सकती है। पात्रा ने कहा कि आरबीआई ‘अगले कदम’ के बारे में सोचने से पहले मुद्रास्फीति पर निकट भविष्य में ध्यान केंद्रित करेगा। केंद्रीय बैंक ने कच्चे तेल की कीमतों पर अपना अनुमान पहले के 85 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से घटाकर 80 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है।

डिप्टी गवर्नर ने कहा कि तेल उत्पादक देशों ने 2025 तक उच्चस्तर पर आपूर्ति जारी रखने की प्रतिबद्धता जतायी है। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने मांग कम रहने की बात कही है। इसको देखते हुए तेल कीमत के अनुमान को कम किया है।

First Published : October 9, 2024 | 6:34 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)