Sanjay Malhotra takes charge as the 26th Governor of Reserve Bank of India for the next 3 years w.e.f December 11, 2024
RBI New Governor: रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) ने 11 दिसंबर 2024 से भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। वे अगले तीन वर्षों तक इस पद पर रहेंगे। आरबीआई के गवर्नर के रूप में उनकी नियुक्ति भारतीय बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
उन्होंने मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह ले ली। केंद्र सरकार ने शक्तिकांत दास का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। शक्तिकांत दास ने 2018 में आरबीआई गवर्नर का पद संभाला था।
केंद्रीय कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमिटी ने Sanjay Malhotra को RBI का 26वां गवर्नर बनाने के फैसले को हरी झंडी दी।
मल्होत्रा, दुव्वुरी सुब्बाराव के बाद पहले आरबीआई गवर्नर होंगे, जो सीधे नॉर्थ ब्लॉक (भारत के वित्त मंत्रालय का ऑफिस) से आएंगे। फाइनेंस, टैक्सेशन और आईटी में एक्सपर्ट माने जाने वाले मल्होत्रा हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी के तौर पर काम कर चुके हैं।
उनका कार्यकाल कई चुनौतियों के बीच शुरू होगा, जिनमें आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, महंगाई को काबू में रखना और एक्सचेंज रेट को स्थिर रखना शामिल है।
आइए जानते हैं RBI गर्वनर की कमान संभालते ही किन चुनौतियों का सामना करेंगे संजय मल्होत्रा
वित्तीय चुनौतियां
संजय मल्होत्रा ने ऐसे समय में कार्यभार संभाला है जब देश में आर्थिक चुनौतियां बढ़ रही हैं। खुदरा महंगाई दर 6.2% तक पहुंच गई। जबकि जुलाई-सितंबर तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5.4% रह गई। दिसंबर समीक्षा में RBI ने 2024-25 के लिए महंगाई अनुमान 4.5% से बढ़ाकर 4.8% कर दिया और ग्रोथ का अनुमान 7% से घटाकर 6.6% कर दिया।
ब्याज दरों में कटौती का फैसला
बीते करीब दो सालों से रीपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ब्याज दरों में कटौती की मांग की है। इस बीच, रेट कट (Rate Cut) का फैसला लेना वित्त सचिव संजय मल्होत्रा के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। इसके साथ ही, बैंकों में लिक्विडिटी (Liquidity) की कमी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। चाहे देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई हो या कोई छोटा प्राइवेट बैंक, लगभग सभी बैंक पैसों की कमी का सामना कर रहे हैं।
क्रिप्टो करेंसी पर रुख
शक्तिकांत दास का क्रिप्टो करेंसी पर काफी सख्त रुख था, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि इसे रेगुलेट करना जरूरी है। हालांकि, रिजर्व बैंक इसे मंजूरी देने के खिलाफ था। हाल ही में बिटकॉइन पहली बार 1,00,000 डॉलर के पार पहुंचा। दूसरी तरफ, ट्रंप अमेरिका को क्रिप्टो करेंसी की राजधानी बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं। अब देखना होगा कि मल्होत्रा का क्रिप्टो करेंसी पर क्या नजरिया है। दास के समय में नियम तोड़ने वाली कंपनियों पर बिजनेस रेस्ट्रिक्शन और फाइन लगाना शुरू हुआ। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि मल्होत्रा भी रेगुलरली गलती करने वाली कंपनियों पर इतना सख्त कदम उठाते हैं या नहीं।
नए सदस्यों का असर मॉनेटरी पॉलिसी पर पड़ने की संभावना
आने वाले समय में मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अक्टूबर 2024 में एमपीसी में तीन नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति हुई थी, और अब जनवरी 2025 में डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा का कार्यकाल खत्म होने वाला है। अगर उनकी जगह नए डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति होती है, तो फरवरी की पॉलिसी मीटिंग से पहले एमपीसी के छह में से पांच सदस्य नए होंगे। इसको लेकर विदेशी ब्रोकरेज फर्म UBS ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि इतने ज्यादा नए सदस्यों का पॉलिसी पर असर पड़ सकता है।