क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों का भविष्य भले ही अनिश्चित हो मगर वे बड़े पैमाने पर अपने ब्रांडों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उनकी यह हरकत नियामकों और कर अधिकारियों की नजरों में आ गई है। नियामकीय सूत्रों के अनुसार इस तरह ब्रांड का प्रचार किए जाने से खुदरा निवेशकों में भ्रम पैदा हो सकता है क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर ही अभी केंद्र सरकार में मंथन चल रहा है।
एक नियामकीय अधिकारी ने कहा, ‘ये एक्सचेंज अपने कायदे चलाते हैं और किसी नियामक या प्राधिकरण के अधीन नहीं हैं। इन एक्सचेंजों पर बिटकॉइन सहित विभिन्न आभासी मुद्राओं का कारोबार होता है, जिनकी कोई कानूनी वैधता नहीं है। परिभाषा और व्यवस्था अभक्रिप्टो के ब्रांड प्रचार पर नियामकों की नजरों में इसे ‘डिजिटल संपत्ति’ कहकर इसकी खरीदफरोख्त किया जाना निवेशकों के लिए काफी जोखिम भरा हो सकता है।’
अधिकारी ने कहा कि क्रिप्टो की नियामकीय व्यवस्था पर अभी काम चल रहा है। संबंधित मंत्रालय और नियामक हितधारकों से इस बारे में बात कर रहे हैं कि इसका नियमन किया जाए या इस पर पूरी तरह रोक लगा दी जाए।
सूत्रों ने बताया कि सरकार द्वारा गठित समिति को कई सुझाव और प्रतिक्रिया मिले हैं, जिन पर विचार किया जा रहा है। लाभकारी स्वामित्व के मसले के साथ इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि नुकसान की सूरत में जवाबदेह कौन होगा। सरकार यह भी देख रही है कि प्रगतिशील अर्थव्यवस्थाओं में आभासी मुद्रा के लिए कैसी व्यवस्था है।
हालांकि सरकार ने अभी क्रिप्टो पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है मगर कॉइनस्विच कुबेर, कॉइनडीसीएक्स जैसे प्लेटफॉर्म बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्राओं को डिजिटल संपत्ति बताकर बढ़ावा दे रहे हैं। ये एक्सचेंज निवेशकों को न्यूनतम 100 रुपये से बिटकॉइन में कारोबार करने के लिए कह रहे हैं। कुछ का ब्रांड स्लोगन है – ट्रेड करो बेफिकर। इसके अलावा विज्ञापनों में बारीक अक्षरों में स्पष्टïीकरण दिया गया है कि ‘क्रिप्टोकरेंसी विनियमन रहित डिजिटल मुद्रा है और कानूनी रूप से वैध नहीं है तथा इसमें बाजार के जोखिम जुड़े हैं।’
एक अधिकारी ने कहा, ‘क्रिप्टो के मामले में यह तय ही नहीं किया गया है कि इसे मुद्रा, संपत्ति, वित्तीय सेवा या जिंस में से किस श्रेणी में रखा जाए। उद्योग संपत्ति के रूप में इसका प्रचार कर रहा है मगर सरकार ने अभी इसे मान्यता नहीं दी है।’ उन्होंने कहा कि समुचित वर्गीकरण के बिना इस तरह के अटकल भरे कारोबार में दांव लगाना सही नहीं होगा। उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक श्रेणी के अपने नियम और नतीजे होते हैं, जिनके बारे में पूरी तरह जाने बिना नियमनरहित वस्तु का कारोबार करना नुकसानदेह हो सकता है।
इधर उद्योग भागीदारों का कहना है कि यह सबसे पारदर्शी प्लेटफॉर्म है और समूची जानकारी सार्वजनिक है। कॉइनडीसीएक्स के ब्रांड एवं संचार प्रमुख रामलिंगम सुब्रमणयन ने कहा, ‘जहां तक खुलासो को लेकर चिंता की बात है तो उद्योग तकनीक आधारित है और हमने अपनी वेबसाइट पर पूरी जानकारी दी है और क्रिप्टो को संपत्ति श्रेणी में रखा है। इसके साळा ही हम मानक खुलासा नियम लेकर आ रहे हैं जिसे सभी एक्सचेंजों को स्वीकार करना होगा।’
भारत में क्रिप्टो के कारोबार को लेकर चिंता के बारे में रामलिंगम ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के मार्च 2020 के आदेश के बाद भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर लगाई गई रोक हटा ली गई है और उनका परिचालन फिर से शुरू हो गया है। इस प्रक्रिया के दौरान उन्होंने खुद को व्यवस्थित किया है और अपने ग्राहक को जानें तथा धनशोधन निषेध की व्यवस्था कर स्व-नियमन की प्रक्रिया शुरू की है। एक्सचेंज के तौर पर हमने स्थानीय कानून के अनुसार अपना परिचालन सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि भारत में क्रिप्टो उद्योग नियमन के दायरे में आना चाहिए और कराधान व्यवस्था होनी चाहिए।’
उद्योग के भागीदार क्रिप्टो को नियमन के दायरे में लाने का विचार दिया है क्योंकि उनका मानना है कि इस पर पाबंदी लगाना समाधान नहीं होगा और नियमन से मदद मिलेगी तथा एक्सचेंज भी सुदृढ़ होंगे। क्रिप्टोकरेंसी भागीदारों का संगठन इंडियाटेकडॉटओआरजी ने हाल ही में सरकार को क्रिप्टो के नियमन के लिए पांच बिंदुओं की नीति की सिफारिश की है। इनमें घरेलू एक्सचेंजों के पंजीकरण की व्यवस्था भी शामिल है। क्रिप्टो को डिजिटल संपत्ति के रूप में परिभाषित करने का प्रस्ताव दिया गया है और इसे मुद्रा या सोना, शेयर जैसी संपत्ति की श्रेणी नहीं माननी चाहिए। हालांकि अभी इस बारे में सरकार के साथ खुली बतचीत नहीं हुई है।
इस बीच सरकार क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल करेंसी नियमन विधेयक, 2021 या क्रिप्टो विधेयक पर काम कर रही है जिसे मॉनसून सूत्र में लाया जा सकता है। लेकिन जिन्होंने बिटकॉइन में निवेश किया है या उसमें कारोबार कर रहे हैं उन्हें वस्तु एवं सेवा कर तथा आयकर के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सरकार ट्रेडरों को क्रिप्टो से बाहर निकलने का विंडो भी दे सकती है।
कर के मद्देनजर कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कंपनियों के लिए क्रिप्टोकरेंसी में मुनाफे या नुकसान का अनिवार्य खुलासा करने को कहा है। आयकर विभाग भी कर रिटर्न में इसका खुलासा करने की संभावना पर विचार कर रहा है। लेकिन एक कर विशेषज्ञ ने कहा कि जब तक इसे वर्गीकृत नहीं किया जाता है तब तक ऐसा करना संभव नहीं होगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने अनौपचारिक तौर पर बैंकों से अपील की है कि वे क्रिप्टो एक्सचेंजों के साथ अपना गठजोड़ खत्म करें। उद्योग के अनुमान के अनुसार भारत में क्रिप्टो का कारोबार से करीब 80 लाख निवेशक जुड़े हैं और इसमें करीब 100 अरब रुपये लगा है।