उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई (सीपीआई) आधार प्रभाव और सस्ते खाद्य की बदौलत मई 2022 में गिरकर 7.04 फीसदी रही। यह अप्रैल में 8 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर रही थी। इसके बावजूद यह लगातार पांचवां ऐसा महीना है, जिसमें मुख्य खुदरा महंगाई मौद्रिक नीति समिति के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4 (+/-2) फीसदी से ऊपर रही है। इससे पता लगता है कि हाल ही में दो बार दर बढ़ोतरी का केंद्रीय बैंक का फैसला सही था।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में खुदरा महंगाई 7.79 फीसदी रही थी। उपभोक्ता खाद्य कीमत महंगाई (सीसीएफआई) मई में घटकर 7.97 फीसदी रही, जो अप्रैल में 8.09 फीसदी रही थी। खुदरा महंगाई का ताजा आंकड़ा न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के 45 अर्थशास्त्रियों के 7.1 फीसदी के अनुमान से थोड़ा कम है। पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती और अन्य उत्पादों पर शुल्क में कटौती से भी शायद महंगाई में कुछ कमी आई है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘महंगाई घटाने में आधार प्रभाव के अलावा केंद्र द्वारा कर कटौती का भी कुछ असर रहा है। इससे आने वाले महीनों में भी मदद मिलेगी। खाद्य महंगाई इसलिए ऊंची रही क्योंकि खाद्य तेल, मसाले और सब्जियां इसे ऊपर की तरफ धकेल रहे हैं। इन उत्पादों के मोर्चे पर जल्द कोई राहत मिलती नहीं दिखती।’इंडिया रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमत में कमी का असर आरबीआई की दर कटौती से ज्यादा जल्द नजर आएगा। लेकिन यह जून में नजर आएगा। उसके बाद यह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में दिखेगा।
पिछले सप्ताह छह सदस्यीय एमपीसी ने पूर्ण सहमति से बेंचमार्क पॉलिसी दर को 50 आधार अंक बढ़ाने के पक्ष में मत दिया था, जिससे रीपो दर बढ़कर 4.90 फीसदी पर पहुंच गई। हालांकि वित्त वर्ष 2023 के लिए जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा गया है, लेकिन वर्ष के लिए महंगाई का अनुमान बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया गया है। एमपीसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2023 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान महंगाई दर 6 फीसदी के सहज स्तर से ऊपर रहने का आसार हैं।
हालांकि महंगाई का दबाव बने रहने का सबसे बड़ा संकेतक यह है कि कच्चे तेल की कीमतें लगातार ऊंची बनी हुई हैं। कच्चे तेल के भारतीय बास्केट में रूस की आपूर्ति का ज्याद हिस्सा होने के बावजूद यह 121 डॉलर प्रति बैरल के साथ 10 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। वैश्विक स्तर पर बेंचमार्क कच्चा तेल अब भी 118 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर है। बहुत से विशेषज्ञों का अनुमान है कि कच्चा तेल आगामी महीनों में लगातार 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बना रहेगा। दुनिया भर के केंद्रीय बैंक तरलता सोख रहे हैं। इस बीच इस सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी किए जाने के आसार हैं।