2 फीसदी संपत्ति कर से मिलेगा 1.1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:31 PM IST

अति धनाढ्य या अरबपतियों पर संपत्ति कर का दुनिया भर में चलन बढ़ रहा है। अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में बहुत से अरबपति खुद ज्यादा कर चुकाने के लिए कह रहे हैं। इस समय कर मुख्य रूप से आमदनी, परिसंपत्ति बिक्री से प्राप्त रकम और उत्पादन तथा वस्तु एवं सेवाओं की बिक्री जैसे आर्थिक लेनदेन पर लगाए जाते हैं। लेकिन अगर अति धनाढ्य व्यक्ति अपनी संपत्ति को बेचने के बजाय इसे संचित करने का फैसला करता है तो उस पर कोई कर नहीं है। कुछ आलोचकों का कहना है कि इस वजह से संपत्ति एवं आय का एक बड़ा स्रोत कर के दायरे में आने से बच रहा है।
देश के अति धनाढ्य प्रवर्तकों और कारोबारियों पर एक लघु सालाना संपत्ति कर से यह छिद्र बंद हो सकता है और सरकार को प्रत्यक्ष करों का नया स्रोत मिल सकता है। एक मोटे अनुमान से पता चलता है कि सूचीबद्ध कंपनियों के एक अरब डॉलर या उससे अधिक नेट वर्थ वाले प्रवर्तकों पर दो फीसदी संपत्ति कर लगाने से केंद्र सरकार को हर साल 1.1 लाख करोड़ रुपये (14.6 अरब डॉलर) की प्राप्ति होगी। एक अरब डॉलर (करीब 7,500 करोड़ रुपये) या अधिक नेट वर्थ वाले प्रवर्तकों और कारोबारियों की संख्या दिसंबर 2021 में बढ़कर अब तक के सर्वोच्च स्तर 126 पर पहुंच गई, जो दिसंबर 2020 में 85 थी। इन अति धनाढ्य प्रवर्तकों की संयुक्त संपत्ति कैलेंडर वर्ष में 51 फीसदी बढ़ी। यह दिसंबर 2020 में 483 अरब डॉलर से बढ़कर दिसंबर 2021 में 728 अरब डॉलर पर पहुंच गई।
वर्ष 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के दौरान अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के दो प्रमुख उम्मीदवारों सीनेटर बर्नी सैंडर्स और सीनेटर एलिजाबेथ वारेन ने देश में बुनियादी ढांचे पर खर्च और सामाजिक सुरक्षा के विस्तार के लिए अरबपतियों पर कर का अभियान चलाया था। राष्ट्रपति बाइडन की बुनियादी ढांचे पर 2 लाख करोड़ डॉलर खर्च की योजना में देश के अति धनाढ्य लोगों पर संपत्ति कर शामिल नहीं है, लेकिन इसके बजाय एक करोड़ डॉलर या अधिक की सालाना आय पर अतिरिक्त कर लगाया गया है।
अरबपतियों पर संपत्ति कर को इस तथ्य से भी बल मिल रहा है कि शेयरों की कीमतें और इस वजह से अति धनाढ्यों की संपत्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), वस्तु एवं सेवाओं का उत्पादन एवं बिक्री और व्यक्तिगत एवं कॉरपोरेट आय जैसे आर्थिक चरों की तुलना में तेजी से बढ़ी है। इसके नतीजतन अरबपतियों की संख्या और संपत्ति में तेजी से बढ़ोतरी के बावजूद कर राजस्व में वृद्धि सुस्त है।
उदाहरण के लिए पिछले पांच साल के दौरान चालू कीमतों पर भारत का सकल घरेलू उत्पाद अमेरिकी डॉलर में कुल 28.5 फीसदी बढ़ा है, जबकि अरबपति प्रवर्तकों की संयुक्त संपत्ति में 240 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।
इसके चलते बिज़नेस स्टैंडर्ड की सूची में शामिल 126 अरबपति प्रवर्तकों की संयुक्त संपत्ति वित्त वर्ष 2022 में चालू कीमतों पर भारत के अनुमानित जीडीपी करीब 2,947 अरब डॉलर के करीब एक चौथाई के बराबर थी। जीडीपी के मुकाबले अरबपतियों की संपत्ति का अनुपात पिछले साल 18.6 फीसदी और पांच साल पहले वित्त वर्ष 2016 में 9.3 फीसदी था।
हालांकि बहुत से अर्थशास्त्री मौजूदा आर्थिक माहौल में संपत्ति कर की व्यवहार्यता और आवश्यकता पर संदेह जताते हैं। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री और प्रमुख (सार्वजनिक वित्त) देवेंद्र पंत ने कहा, ‘प्रवर्तकों की नेट वर्थ कंपनी की भविष्य की आमदनी में उनकी हिस्सेदारी के मौजूदा मूल्य को दर्शाती है, जिस पर पहले ही कॉरपोरेट आय कर के रूप में कर लग चुका है। ऐसे में संपत्ति कर दोहरा कराधान बन जाता है।’

First Published : January 31, 2022 | 10:53 PM IST