पूर्व वाणिज्य सचिव जीके पिल्लई की अध्यक्षता में सरकार द्वारा नियुक्त समिति जल्द ही विशेष आर्थिक क्षेत्रों और निर्यात उन्मुख इकाइयों से होने वाले निर्यात को बढ़ावा देने वाली योजना -आरओडीटीईपी के लिए दरों को अंतिम रूप देगी।
पिछले साल शुरू की गइ्र्र निर्यात उत्पादों पर शुल्क एवंं कर छूट (आरओडीटीईपी) योजना केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर शुल्क और करों की वापसी को सक्षम करती है। इसमें निर्यात उत्पादों की विनिर्माण और वितरण प्रक्रिया में लगे शुल्क शामिल होते हैं और वर्तमान में किसी अन्य योजना के तहत छूट नहीं दी जा रही होती। वाणिज्य विभाग ने मुख्य रूप से बजट की कमी से संबंधित चुनौतियों के कारण कुछ क्षेत्रों को योजना से बाहर रखा है और उन कुछ उद्योगों को बाहर रखा गया है, जो अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। इन अपात्र श्रेणियों में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज), निर्यात उन्मुख इकाइयों (ईओयू) के साथ-साथ इस्पात, फार्मास्यूटिकल्स और रसायन जैसे क्षेत्रों द्वारा किया जाने वाला निर्यात शामिल है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया ‘काम पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुआ था। जीके पिल्लई समिति सेज और ईओयू (आरओडीटीईपी के अंतर्गत) के लिए कर वापसी दरों पर संशोधन कर रही है। तकरीबन 8,000 शुल्कों को शामिल किया जाएगा। इसमें सेज से इस्पात, फार्मास्यूटिकल्स और रासायनिक उत्पादों का निर्यात शामिल होगा।’
यह समिति जून के मध्य तक वाणिज्य विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है। इसके उपरांत वाणिज्य विभाग वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के साथ अतिरिक्तबजट की जरूरत पर बातचीत करने के बाद इन दरों को अधिसूचित कर देगा।