इस साल के बजट की घोषणा के अनुसार केंद्र सरकार 7 मदों के तहत शर्तों के साथ राज्यों को 1 लाख करोड़ रुपये ब्याजमुक्त पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) ऋण देगी। इन शर्तों में गतिशक्ति को सुविधाएं देना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का वित्तपोषण, डिजिटलीकरण को प्रोत्साहन देना, ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क बिछाना, शहरी सुधार, विनिवेश और मुद्रीकरण शामिल है।
राज्यों को उनके द्वारा चुनी गई परियोजनाओं के लिए 80,000 करोड़ रुपये केंद्रीय करों व शुल्कों (15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक) में उनकी हिस्सेदारी के अनुपात में आवंटित किए जाएंगे, वहीं शेष 20,000 करोड़ रुपये विशेष मकसद के लिए आवंटित होंगे। उदाहरण के लिए 80,000 करोड़ रुपये में से उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 17.9 प्रतिशत कर विभाजन के मुताबिक 14,351 करोड़ रुपये होगी और 0.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ मिजोरम को 400 करोड़ रुपये स्वीकृत परियोजनाओं के लिए मिलेंगे।
अप्रैल में राज्यों को जारी दिशानिर्देशों को बिजनेस स्टैंडर्ड ने देखा है। इसमें वित्त मंत्रालय ने कहा है कि राज्यों को ‘फिर से डिजाइन की गई और विस्तारित’ 50 साल के लिए ब्याज मुक्त कर्ज के मामले में सभी केंद्र प्रायोजित परियोजनाओं के आधिकारिक नाम और उनकी ब्रांडिंग के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा, स्थानीय भाषा में उसके सही अनुवाद की अनुमति होगी। ऐसा इसलिए किया गया है कि केंद्र द्वारा वित्तपोषित योजनाओं का श्रेय लेने से राज्यों को रोका जा सके।
योजना के तहत राज्यों को मुहैया कराए जा रहे धन का इस्तेमाल नई और चल रही पूंजीगत परियोजनाओं के साथ लंबित बिल के भुगतान के लिए हो सकेगा।
वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘5 करोड़ रुपये से कम पूंजीगत आवंटन वाली परियोजनाओं (पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 2 करोड़ रुपये) और परियोजनाओं की मरम्मत और रखरखाव पर पूंजीगत आवंटन को योजना के तहत विचार नहीं किया जाएगा। भारत सरकार को किसी परियोजना को खारिज करने का अधिकार होगा, जो उसकी राय में कम अवधि के प्रोत्साहन के साथ दीर्घावधि के हिसाब से अर्थव्यवस्था के लिए पर्याप्त लाभ वाली नहीं हैं।’
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में पिछले सप्ताह कहा था कि राज्यों ने योजना के लिए परियोजनाएं भेजना शुरू कर दिया है और सितंबर के अंत तक पूरी राशि जारी कर दी जाएगी। पूंजीगत व्यय का वृद्धि पर पड़ने वाले व्यापक असर और महामारी को देखते हुए राज्यों को अत्यंत जरूरी संसाधन मुहैया कराने के लिए वित्त वर्ष 21 में 12,000 करोड़ रुपये की पूंजीगत व्यय की विशेष सहायता योजना शुरू की गई थी।