आखिरकार, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने फॉरेन वेंचर कैपिटल इन्वेस्टर (एफवीसीआई) को भारतीय कंपिनयों में निवेश करने के आग्रह पर अपनी मुहर लगा दी है।
सेबी ने पिछले चार महीनों के दौरान इस तरह के करीब 129 आवदेनों को अपनी स्वीकृति प्रदान कर चुका है। एफवीसीआई पिछले चार सालों से सेबी की अनुमति की प्रतीक्षा कर रहे थे। अनुमान है कि ये फं ड भारतीय कंपनियों में 10 अरब डॉलर तक का निवेश कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि सेबी ने वर्ष 2004 में फॉरेन वेंचर कैपिटल फंड और निवेशकों के लिए नियमों में संसोधन किया था और उस अवधि से लेकर अब तक सेबी के पास कई आवेदन विचाराधीन थे। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक भी इस संबंध में आवश्यक अनुमति देने से कतरा रहा था।
आरबीआई की चिंता इस बात को लेकर थी कि निवेश की अनुमति मिलने के बाद देश में काफी बडी मात्रा में फंडों का प्रवाह होता जिसका प्रबधंन करने में काफी पेरशानी होती। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है क्योंकि आरबीआई ने एफ वीसीआई के आवेदनों को मंजूरी देनी शुरू कर दी है और पिछले चार महीनों के दौरान 129 निवेशकों को इसकी अनुमति दे चुका है।
आरबीआई के विदेशी पूंजी निवेश से जुड़े कीमत संबंधित नियम एफवीसीआई पर लागू नहीं होते हैं अगर वे एक साल से अधिक की अवधि के लिए निवेश करते हैं तो आईपीओ के बाद की लॉक-इन अवधि इन पर लागू नहीं होती है।
सेबी ने जितने एफवीसीआई को अपनी अनुमति प्रदान की है वे सभी मॉरिशस में सूचीबध्द हैं। हालांकि आरबीआई ने एफवीसीआई के लिए कुछ शर्तें भी निर्धारित की हैं। इन शर्तों के तहत ये विनिर्माण, आईटी हार्डवेयर और कृषि संबंधित क्रियाकलापों सहित नौ क्षेत्रों में निवेश नहीं कर सकते हैं।
इन एफसीवीआई में से कई के कंसल्टेंट ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हालांकि मंजूरी की अनुमति के लिए आवेदन देते समय मात्र कुछ क्षेत्रों में निवेश की अनुमति नहीं थी।
इस कंसल्टेंट ने साथ में यह भी कहा कि अभी भी कई कंपनियां इस आशा में अपनी योजना को आगे बढा रही है कि उन्हें आने वाले समय में इसमें कुछ लचीलापन जरूर आएगा। कुछ फंडों के सशर्त निवेश की अनुमति गले नहीं उतर रहीं हैं और बाजार नियामक के सामने इसमें छू ट देने के लिए बाजार नियामक से संपर्क में हैं।