सेवा पीएमआई 18 माह के शीर्ष पर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 1:21 AM IST

भारत की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाला सेवा क्षेत्र पिछले 4 महीने में पहली बार बढ़ा है और यह अगस्त में 18 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया। आईएचएस मार्किट पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) सर्वे से पता चला है कि टीकाकरण की पहुंच में सुधार और तमाम प्रतिष्ठानों के खुलने के बाद ग्राहकों की आवाजाही बढऩे की वजह से ऐसा हुआ है। बहरहाल कंपनियां लगातार अपने कर्मचारियों की संख्या कम कर रही हैं, हालांकि यह पहले की तुलना में सुस्त है। 
अगस्त महीने में सूचकांक 56.7 पर पहुंच गया, जो इससे पहले महीने में 45.4 पर था। 50 अंक से ज्यादा प्रसार और इससे नीचे संकुचन दिखाता है।
तमाम प्रतिष्ठानों के फिर से खुलने के अलावा कंपनियों ने सफल विज्ञापन की वजह से गतिविधियों में तेजी भी इसकी वजह बताई गई है। 
अगर सितंबर में भी यह धारणा बरकरार रहती है तो यह वित्त वर्ष  22 की दूसरी तिमाही में सेवा क्षेत्र की वृद्धि को और रफ्तार मिल सकता है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सेवा क्षेत्र में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा कम आधार पर है, जब इसके पहले के वित्त वर्ष की समान अवधि में 21.5 प्रतिशत संकुचन दर्ज हुआ था। बहरहाल जीडीपी की गणना और पीएमआई सर्वे का तरीका अलग है। पीएमआई मासिक गतिविधियों को देखता है, जबकि जीडीपी के आंकड़ों में पिछले साल से तुलना करके गणना होती है।
आंकड़ों से पता चलता है कि नए ऑर्डर बढऩे की स्थिति से निपटने के लिए कंपनियों के पास पर्याप्त क्षमता है, यह वजह भी है कि नौकरियों का सृजन नहीं हुआ। कंपनियों के मुताबिक नए काम की आवक तेज रही है और मांग की स्थिति में सुधार हुआ है। अगस्त में सेवा प्रदाताओं का नया ऑर्डर बढ़ा है और पिछले 3 महीनों की कमी का दौर खत्म हो गया है। घरेलू बाजार में मांग की स्थिति सामान्यतया वृद्धि के हिसाब से सकारात्मक होती है, वहीं फर्मों ने पाया कि पहले के महीनों में नए निर्यात ऑर्डर में कमी आई है। यह गिरावट कोविड-19 महामारी और यात्रा पर प्रतिबंधों की वजह से हुई।
विदेश से नए कारोबार में मांग के संकुचन की दर कम रही है। 
वृद्धि में तेजी के संकेतों के बावजूद सेवा प्रदाताओं ने एक बार फिर अगस्त में नौकरियों में कमी कर दी है। बहरहाल नौैकरियों से छटनी की दर जनवरी के बाद से सबसे कम और कमजोर रही है। कुछ कंपनियों ने कहा कि मांग संबंधी जरूरतों को पूरी करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी हैं। 
आईएचएस मार्किट में आर्थिक एसोसिएट डॉयरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि रोजगार  के कदमों के सर्वे में पाया गया है कि छटनी सुस्त है, सेवा क्षेत्र में नौकरियां कम हो रही हैं, जबकि मौजूदा मांग की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त क्षमता है।
बार्कलेज में प्रमुख भारत अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि रोजगार की स्थिति लगातार सुस्त है और उद्यमियों ने 9 महीनों के दौरान छटनी की है। 
 सेवा प्रदाताओं ने संकेत दिए हैं कि ईंधन के दाम ज्यादा होने और खुदरा व परिवहन लागत बढऩे से उनका अगस्त में खर्च बढ़ा है। कुल मिलाकर इनपुट लागत पिछले 4 महीने में सबसे तेज बढ़ी है। सेवा कंपनियों द्वारा लिया जाने वाला शुल्क बढ़ा है। इसकी वजह से मार्च के बाद से महंगाई दर कमजोर हुई है और यह बहुत मामूली रही है। लीमा ने कहा, एक और चिंता का पहलू है कि महंगाई के दबाव के साक्ष्य मिल रहे हैं और दबाव लगातार बढ़ रहा है। 
बाजोरिया ने कहा कि इनपुट लागत बढ़ी हुई है और इसमें लगातार 14वें महीने वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि इसका बोझ खुदरा ग्राहकों पर आने वाले महीनों में डाला जाएगा क्योंकि अर्थव्यवस्था बहाल हो रही है और फर्मों की मूल्य निर्धारण क्षमता बढ़ी है। 
बुधवार के आंकड़ों में विनिर्माण पीएमआई में अगस्त महीने में कमी आई थी। अगर इसे सेवा सूचकांक से जोड़कर देखें तो निजी क्षेत्र की गतिविधियां बढऩे के संकेत मिलते हैं और तीन महीने की गिरावट खत्म हुई है। जुलाई में कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जुलाई के 49.2 से बढ़कर 55.4 हो गई है, जिससे तेज विस्तार के संकेत मिलते हैं। सेवा फर्मों ने 3 साल में पहली बार विनिर्माताओं को पीछे छोड़ा है।

First Published : September 4, 2021 | 9:28 AM IST