कोविड-19 संकट से वैश्वीकरण सीमित होने और दुनिया में अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व में कमी आने के आसार हैं तथा इसके अलावा भोजन की कमी के साथ वैश्विक असमानता भी बढ़ सकती है, लेकिन इससे जलवायु को राहत मिलेगी और उत्पादकता का पुनरुद्धार हो सकता है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आपूर्ति शृंखला में से कुछ हिस्सा चीन से बाहर निकलेगा और इनका ज्यादा प्रवाह एशियाई देशों की ओर होगा जिसमें भारत शीर्ष लाभार्थी बनने वाला है। ‘कोविड-19 के बाद की दुनिया’ शीर्षक से पिछले हफ्ते जारी नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक नेतृत्व में खालीपन आ सकता है, अमेरिका-चीन के संबंधों में तनाव और वैश्विकरण का सीमित होना जारी रह सकता है तथा उभरते बाजारों को मध्य अवधि के परिदृश्य में अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। बैंक ने कहा कि हम अमेरिकी डॉलर को वैश्विक प्रभुत्व की कमी वाले मार्ग पर जाते हुए देखेंगे। बैंक ने यह उम्मीद भी जताई है कि मुद्रास्फीति कम रहने और वास्तविक ब्याज दर भी कम रहने की संभावना है। गैर-पारंपरिक मौद्रिक नीतियां नई सामान्य बात होंगी जो राजकोषीय कठोरता की जरूरत में कमी लाएंगी।