जून में खुदरा महंगाई में मामूली कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में वस्तुओं की कीमतें कम होने से खुदरा महंंगाई मई के 6.30 फीसदी से कम होकर जून में 6.26 फीसदी रह गई। हालांकि तब भी यह लगातार दूसरे महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सहज स्तर 6 फीसदी से अधिक है। आज जारी आंकड़ों के अनुसार लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई 6 फीसदी से अधिक रही है।
खुदरा महंगाई का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) से मापी जाती है और आधार पर होता है और रिजर्व बैंक भी मुख्य रूप से इसी पर नजर रखता है। ईंधन के दाम में बढ़ोतरी और कुछ खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण खुदरा महंगाई ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। मगर जून में सीपीआई में मई के मुकाबले केवल 0.6 फीसदी की वृद्घि हुई, जबकि मई में सीपीआई का आंकड़ा अप्रैल के मुकाबले 1.6 फीसदी बढ़ गया था। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इससे इस बात को बल मिला है कि महंगाई दर में वृद्धि अस्थायी है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि खुदरा महंगाई का ऊंचा आंकड़ा आरबीआई के लिए चिंता का कारण बन सकता है मगर नीतिगत दरें बढ़ाने में वह संभवत: जल्दबाजी नहीं दिखाएगा।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘जून में दर्ज खुदरा महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए हमें यही लगता है कि समिति की अगली बैठक में महंगाई का अनुमान बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इससे जुड़ी कुछ चिंता जरूर दिखेगी।’