देश में औद्योगिक उत्पादन में सुधार की रफ्तार धीमी बनी हुई है। सोमवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त में औद्योगिक उत्पादन पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 8 प्रतिशत कम रहा। इस वर्ष लॉक डाउन के दौरान अप्रैल और मई में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) एक तिहाई तक फिसल गया था, लेकिन अगस्त में आंकड़ा थोड़ा सुधरा लग रहा है।
आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण उत्पादन में 8.6 प्रतिशत कमी दर्ज हुई, जबकि बिजली उत्पादन में गिरावट सुधरी और यह 1.8 प्रतिशत तक ही सीमित रही। विभिन्न खंडों के अलग-अलग आंकड़े वास्तविक समस्या की ओर इशारा कर रहे हैं।
जून में नॉन-ड्यूरेबलस या एफएमसीजी खंड में आईआईपी 14.3 प्रतिशत बढ़ा था। जुलाई में बढ़त महज 1.8 प्रतिशत रही, लेकिन यह अगस्त में 3.3 प्रतिशत फिसल गया। इससे सीधा संकेत मिल रहा है कि एफएमसीजी खंड में आया सुधारा नहीं टिक पाया और बिक्री औंधे मुंह गिरी है। इस गिरावट पर इक्रा की अर्थशास्त्री आदिति नायर ने कहा,’अगस्त 2020 में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले एफएमसीजी में गिरावट चिंता पैदा करने वाली है।
आईआईपी में सर्वाधिक योगदान प्राथमिक उत्पादों जैसे आधार धातुओं, डीजल सहित ईंधन एवं बिजली का होता है। जुलाई से अगस्त के दौरान यह आंकड़ा 10.8 प्रतिशत से और कमजोर होकर 11.1 प्रतिशत पर पहुंच गया। देश में पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन पर सबसे गहरी चोट पड़ी और अगस्त में यह 15.4 प्रतिशत तक फिसल गया। पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में तेजी देश में निजी निवेश बढऩे का एक बड़ा अहम संकेत माना जाता है।
हालांकि सितंबर में रेल से माल ढुलाई, बिजली खपत, बंदरगाहों पर आयात-निर्यात, जीएसटी संग्रह में तेजी नजर आई है। हालांकि अगस्त में एमएफसीजी में गिरावट चिंता का विषय है, लेकिन विशेशज्ञों के अनुसार हाल में आर्थिक प्रोत्साहन की घोषणा से सुधार की उम्मीद जरूर जगी है।
इंडिया रेटिंग्स में अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि कुल मिलाकर पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादातर औद्योगिक खंडों में अब भी गिरावट दिख रही है। सिन्हा ने कहा,’हालांकि आंकड़े धीमी लेकिन निरंतर सुधार का संकेत दे रहे हैं। काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि आगे चलकर कोविड-19 की दशा-दिशा क्या रहती है।’