एक संसदीय समिति ने विनिवेश लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया तेज करने को कहा है। इसने सुझाव दिया है कि निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को विनिवेश प्रक्रिया, विशेष रूप से रणनीतिक निवेश के दौरान पर्याप्त प्रशासनिक लचीलापन रखना चाहिए।
वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि किसी परिसंपत्ति को बेचने जैसे वाणिज्यिक फैसलों में किसी सहमति पर पहुंचने के लिए पर्याप्त प्रशासनिक लचीलेपन की आवश्यकता है। समिति ने कहा कि वह इस बात से ङ्क्षचतित है कि बजट के लिए विनिवेश लक्ष्य को हासिल करना बहुत अहम है और अनुमानों से भटकने से राजकोषीय समीकरणों में अहम बदलाव हो सकता है। समिति ने कहा कि प्रशासनिक प्रक्रिया तेज की जानी चाहिए ताकि विनिवेश लक्ष्य को पूरी तरह हासिल किया जा सके।
कोविड-19 महामारी ने सरकार की विनिवेश योजना पटरी से उतार दी, इसलिए शेयर बिक्री और निजीकरण के लक्ष्य को 2.1 लाख करोड़ रुपये से घटाकर 32,000 करोड़ रुपये किया गया। सरकार ने ऑफर फॉर सेल, आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) और अन्य लेनदेन के जरिये 31,006 करोड़ रुपये जुटाए हैं। अगले वित्त वर्ष का विनिवेश लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है।
भाजपा सांसद जयंत सिन्हा की अगुआई वाली स्थायी समिति ने यह भी सुझाव दिया कि किसी कंपनी का कब परिसमापन किया जाए, इसे लेकर उचित दिशानिर्देश बनाए जाने चाहिए। समिति के मुताबिक, ‘विनिवेश ज्यादा विश्वसनीय, उद्देश्यपूर्ण और पारदर्शी होना चाहिए। इस तरह समिति का मानना है कि एक स्थायी विनिवेश नीति बनाई जाए, जिसमें बेंचमार्कों और दुनिया के सबसे अच्छे विनिवेश मॉडलों को अपनाने का स्पष्ट उल्लेख हो।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत के लिए सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति की घोषणा की थी। इसके तहत रणनीतिक क्षेत्रों में पीएसयू के जरिये सरकारी की मौजूदगी ‘बहुत कम’ रखी जाएगी और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में पीएसयू का निजीकरण या उन्हें बंद किया जाएगा।