इक्रा के अनुमान के मुताबिक पेट्रोल व डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य स्तर पर मूल्यवर्धित कर में कटौती किए जाने से राज्यों को चालू वित्त वर्ष में 44,000 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान होगा।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क में सड़क उपकर के हिस्से में कटौती की है, जिसे राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है। ऐसे में इस कटौती से वैट के हिस्से में 9,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी क्योंकि राज्य का कर इसी के अनुपात में लगाया जाता है।
उन्होंने यह भी अनुमान लगाया है कि राज्यों का वैट कटौती से अनुमानित नुकसान 35,000 करोड़ रुपये होगा। अब तक 25 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने पेट्रोल व डीजल पर वैट में कमी की है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि राज्यों के खजाने को 44,000 करोड़ रुपये का नुकसान केंद्र के अनुमानित राजस्व नुकसान के आधार पर लगाया गया है।
बहरहाल वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के अंतिम 5 महीने में 60,000 करोड़ रुपये नुकसान का अनुमान लगाया है।
इक्रा को उम्मीद है कि केंद्रीय कर का विभाजन बजट अनुमान से 60,000 करोड़ रुपये ऊपर चला जाएगा। बीई में इसे 6.7 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। इसके बावजूद राज्यों को कर विभाजन वित्त वर्ष 21 और वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही में 2.6 लाख करोड़ रुपये के करीब बगैर बदलाव के बना रहेगा। मासिक हिसाब से देखें तो जुलाई सितंबर 2021 के हर महीने में 47,500 करोड़ रुपये हो गया, जो इसके पहले के तीन महीनों में हर महीने 39,200 करोड़ रुपये था।