वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही (जून तिमाही) में प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) पिछले साल की तुलना में दोगुना होने को है। इसकी वजह शेयर बाजार में तेजी और खुदरा निवेशकों की बढ़ी हिस्सेदारी है।
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राजस्व विभाग ने 16 जून तक 5,178 करोड़ रुपये एसटीटी संग्रह किया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2,408 करोड़ रुपये संग्रह हुआ था।
वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान (बीई) में सरकार ने 13,000 करोड़ रुपये एसटीटी का लक्ष्य रखा था। इसे संशोधित अनुमान में घटाकर 12,000 करोड़ रुपये कर दिया गया। अब पहली तिमाही के आंकड़ों को देखते हुए अधिकारियों को उम्मीद है कि कर संग्रह इस वित्त वर्ष में बजट अनुमान से भी पार चला जाएगा।
डिलिवरी आधारित कारोबारियों के लिए एसटीटी दरें 0.1 प्रतिशत हैं, जबकि इंट्रा डे ट्रेडर्स के लिए इक्विटी कैश सेग्मेंट में 0.025 प्रतिशत है। इसी तरह से डेरिवेटिव्स के कारोबार में 0.01 प्रतिशत से 0.05 प्रतिशत तक कर लिया जाता है, जब तक कि वायदा विकल्प का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा एसटीटी संग्रह सीधे तौर पर नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बीएसई में ट्रेडिंग टर्नओवर से जुड़ा होता है। अप्रैल महीने में औसत रोजाना टर्नओवर (एडीटीवी) नगदी सेग्मेंट में 74,282 करोड़ रुपये रहा है, जो इसके पहले महीने की तुलना में 4 प्रतिशत ज्यादा है। मई महीने में यह 13 प्रतिशत और बढ़कर 83,860 करोड़ रुपये हो गया।
अगर डेरिवेटिव्स को देखें तो स्टॉक फ्यूचर्स ऐंड ऑप्शंस में मासिक आधार पर अप्रैल और मई में बढ़ोतरी हुई है, जबकि इंडेक्स फ्यूचर्स की मात्रा प्रभावित हुई है।
एसटीटी सरकार के कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह का हिस्सा है।