राजकोषीय प्रोत्साहन की गुंजाइश बनाए रखने का सुुझाव

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 9:02 AM IST

मांग में तेजी बरकरार रखने के लिए आर्थिक समीक्षा में प्रोत्साहन देने की गुंजाइश बरकरार रखने का सुझाव दिया गया है। समीक्षा में कहा गया है कि देश इस समय भीषण आर्थिक चुनौतियों से धीरे-धीरे बाहर निकल रहा है इसलिए इसे और मजबूती देने के लिए राजकोषीय मोर्चे पर कोशिशें जारी रखने की जरूरत है।
समीक्षा में सुझाय दिया गया है कि भारत की राजकोषीय नीतियों का निर्धारण वैश्विक रेटिंग एजेंसियों की रेटिंग पर नहीं होना चाहिए और मोटे तौर पर वृद्धि एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। समीक्षा के अनुसार सरकार को बिना किसी चिंता के राजकोषीय नीति का खाका देश की जरूरतों के हिसाब से खींचना चाहिए।
अप्रैल-दिसंबर की अवधि के दौरान देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2021 के बजट अनुमानों का 145 प्रतिशत तक पहुंच गया। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बढ़कर 7 से 9 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। सरकार ने 2020-21 के दौरान राजकोषीय घाटा 3.5 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा था।  
समीक्षा में कहा गया, ‘राजस्व में कमी और अधिक व्यय के कारण चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य से कहीं अधिक रह सकता है। आगे चलकर अर्थव्यवस्था में मांग बनाए रखने के लिए सरकार को राजकोषीय मोर्चे पर हाथ खोलन होगा और अधिक से अधिक वित्तीय उपाय करने की जरूरत पेश आएगी।’
समीक्षा में कहा गया कि सरकार द्वारा उठाए गए सुधार के प्रमुख कदमों और व्यय बढ़ाने जैसे उपायों से मध्यम अवधि में अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। समीक्षा के अनुसार, ‘भारत ने अर्थव्यवस्था को कठिन चुनौतियों से उबारने के बीच अब तक जो कदम उठाए हैं उनसे आने वाले वित्त वर्ष में राजकोषीय मोर्चे पर और उपाय करने की गुंजाइश बन गई है। आर्थिक रफ्तार तेज होने के साथ ही कर राजस्व बढ़ेगा जिससे राजकोषीय स्थिति भी मजबूत होती जाएगी।’
15वां वित्त आयोग केंद्र एवं राज्य सरकारों के लिए दीर्घ अवधि की राजकोषीय नीति का खाका तैयार करेगा। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि दीर्घ अवधि में मजबूत राजकोषीय नीति इस बात पर निर्भर करेगी कि अर्थव्यवस्था कितनी मजबूती के साथ आगे बढ़ती है और कर्ज पर ब्याज भुगतान से कैसे निपटती है।
इक्रा रेटिंग में अर्थशास्त्री आदिति नयार ने कहा कि वित्त वर्ष 2022 में देश का राजकोषीय घाटा 5 प्रतिशत रह सकता है। आर्थिक समीक्षा मेंं सुझाव दिया गया है कि एक  सोची-समझी राजकोषीय नीति बेहतर नतीजे देगी, जिसकी आर्थिक हालात को सुगम बनाने में इनकी अहम भूमिका होगी। समीक्षा के अनुसार निजी क्षेत्रों में कंपनियां इस समय जोखिम लेने से बच रही हैं जिसे देखते हुए सरकार द्वारा व्यव बढ़ाना खासा अहम हो गया है। समीक्षा में कहा गया है, ‘नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के जरिये सार्वजनिक व्यय को तेजी देने की रणनीति तैयार की गई है। इसके लिए रकम मुहैया कराने के लिए राजकोषीय स्तर पर पहल से आर्थिक वृद्धि के साथ ही उत्पादक बढ़ेगी और रोजगार के अवसर सृजित होंगे।’
आर्थिक समीक्षा में सॉवरिन क्रेडिट रेटिंग प्रणाली अधिक पारदर्शी बनाए जाने पर जोर दिया गया है। समीक्षा के अनुसार इस नीति में देश की अर्थव्यवस्था की बुनियादी जरूरतें और उनके लिए आवश्यक उपाय दिखने चाहिए। इसमें कहा गया है कि पूर्वग्रह से ग्रसित और पेचीदा क्रेडिट रेटिंग देश में विदेशी निवेश को नुकसान पहुंचाती है।

First Published : January 29, 2021 | 11:42 PM IST