ग्रामीण मांग में सुधार पर संशय बरकरार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:22 AM IST

कोविड महामारी से बिगड़े हालात के बीच पिछले दो महीनों के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में रोजमर्रा के सामान बेचने वाली कंपनियों (एफएमसीजी) की बिक्री बढऩे की खबर सुर्खियां बनी हैं। माना जा रहा है कि महामारी फैलने के बाद प्रवासी मजदूरों के गांव लौटने, बेहतर मॉनसून और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा व्यय बढ़ाए जाने से एमएफसीजी कंपनियों के उत्पादों की बिक्री बढ़ी है।
हालांकि इन सबके बीच आशंका जताई जाने लगी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार आने वाली तिमाहियों में कायम रहेगी या नहीं। इस चिंता की वजह यह है कि शहरों के बाद महामारी अब कस्बों और गांवों में पांव पसार रही है और सरकारी प्रोत्साहनों से ग्रामीण इलाकों को मामूली लाभ ही मिल पा रहा है।
एफएमसीजी कंपनियों की कुल बिक्री में ग्रामीण क्षेत्रों का योगदान एक तिहाई है। ब्रोकरेज कंपनी क्रेडिट सुइस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ग्रामीण इलाकों में जितना खर्च करती है उनमें हरके महीने शुद्ध रूप से इन इलाकों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 0.9 प्रतिशत हिस्सा ही पहुंच पाता है। देश की कुल जीडीपी में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का योगदान 47 प्रतिशत है। इस ब्रोकरेज कंपनी के विश्लेषकों का कहना है कि शहर से अपने गांव लौटने के बाद उनकी कमाई थम गई है, साथ ही पिछले कुछ महीनों में फल, सब्जी, दूध आदि का उत्पादन भी कमजोर रहा है। इन कारणों से गांव-देहात में लोगों के पास खर्च लायक आमदनी नहीं रह गई है।
हालांकि कुछ आंकड़े अलग कहानी भी बयां करते हैं। बाजार पर शोध करने वाली एजेंसी नीलसन ने कहा है कि एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री जून में कोविड-19 से पूर्व के स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि नीलसन ने चालू वित्त वर्ष के लिए कारोबार की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर आधा (5 प्रतिशत) कर दिया है। मगर एजेंसी का मानना है कि शहरी क्षेत्रों के मुकाबले गांव-देहात में बिक्री कुल मिलाकर अधिक रहेगी।
हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव मेहता कहते हैं, ‘ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ाने के लिए सरकार जो कदम उठा रही है, हम उनसे खुश हैं। हालांकि अनिश्चितता बरकरार है। अगर आपूर्ति तंत्र से जुड़ी बाधाएं दूर हो गईं तो सितंबर तिमाही से मांग को लेकर हमारा नजरिया साफ हो जाना चाहिए।’ नेस्ले इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुरेश नारायण ने कहा, ‘बाजार में भविष्य को लेकर तस्वीर पूरी तरह साफ होने में 2 से 3 तिमाहियों तक इंतजार करना पड़ सकता है। परिचालन से जुड़ी बाधाओं और बाजार एवं कारोबार पूरी तरह नहीं शुरू होने से मांग को लेकर कुछ कहना मुश्किल है।’
गोदरेज कंज्यूमर में मुख्य कार्याधिकारी (भारत एवं सार्क) सुनील कटारिया ने कहा, ‘कई जगह फि र से लॉकडाउन लगाया गया है। देखना होगा कि आगे स्थितियां कैसी रहती हैं। मॉनसून की प्रगति और आपूर्ति एवं मांग से जुड़ी बाधाओं से जीडीपी पर कितना असर पड़ता है, उसका भी ध्यान रखना होगा।’
ब्रिटानिया के प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि वह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी को लेकर आशान्वित हैं। डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा कि अगली दो तिमाहियों में शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में हालात अपेक्षाकृत अधिक तेजी से सुधरेंगे।

First Published : July 26, 2020 | 10:28 PM IST