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2,500 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की आशंका, GST अधिकारियों ने की वाहन डीलरों से पूछताछ

आरोप है कि इन फर्जी चालानों के आधार पर बीमा कंपनियों ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया है

Last Updated- April 25, 2023 | 11:49 PM IST
gst penalty

बीमा कंपनियों द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के गलत दावे की जांच को आगे बढ़ाते हुए टैक्स अधिकारियों ने अब कुछ वाहन डीलरों से पूछताछ की है। यह पूछताछ उन वाहन डीलरों से की गई है जिन्होंने बिना कोई सेवा उपलब्ध कराए क​थित तौर पर फर्जी चालान बनाए जो वस्तु एवं सेवा कर (GST) कानून के तहत एक दंडनीय अपराध है।

समझा जाता है कि कर अ​धिकारियों ने इन डीलरों को बुलाया और सामान्य बीमा कंपनियों को उनके द्वारा प्रदान की गई सेवाओं को साबित करने के लिए पूछताछ की गई।

जांचकर्ताओं को संदेह है कि कार डीलर उन बीमा योजनाओं के लिए कार खरीदारों पर दबाव डालते हैं जो उन्हें बीमा नियमों के तहत निर्धारित से कहीं अधिक कमीशन देते हैं। जांच से जुड़े दो अधिकारियों ने कहा, ‘सेवा प्रदान किए बिना फर्जी चालान बनाए जा रहे थे और उसके आधार पर बीमा कंपनियों ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया था।’

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा कमीशन के लिए निर्धारित सीमा 15 से 20 फीसदी है जो पॉलिसी के प्रकार पर निर्भर करती है। बीमा नियामक ने 1 अप्रैल से प्रभावी तौर पर कमीशन की अलग-अलग सीमाएं हटा दी हैं और परिचालन खर्च एवं कमीशन (operating expenses and commissions) के लिए एक समग्र सीमा निर्धारित की है।

GST व्यवस्था के तहत सप्लाई के बिना चालान जारी करने पर पांच साल तक जेल हो सकती है बशर्ते वह 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक का मामला हो। साथ ही ऐसे मामलों मं 100 फीसदी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा फर्जी चालान जारी करने वाले का पंजीकरण भी रद्द किया जा सकता है। यह एक गैर-जमानती अपराध है।

एक वरिष्ठ अ​धिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘इस मामले में कुल मिलाकर करीब 2,500 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की आशंका है जो पहले के 1,000 करेाड़ रुपये के आकलन से कहीं अ​​धिक है। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि कराधान से बचने के लिए बीमा कंपनियों के साथ किस प्रकार की सांठगांठ की गई है। जल्द ही इस मामले में निर्णय हो जाएगा।’

माल एवं सेवा कर आसूचना महानिदेशालय (DGGI) ने सितंबर 2022 के बाद 16 बीमा कंपनियों के खिलाफ बिचौलियों को कथित तौर पर 60 से 70 फीसदी तक कमीशन देने के मामले की जांच कर रहा है। बाद में विपणन एवं बिक्री सेवा (marketing and sales services) के नाम पर जारी किए गए चालानों के जरिये इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया जाता है। ताजा पहल उसी जांच को आगे बढ़ाता है।

अब तक कुछ शीर्ष बीमा कंपनियों को ICT दावे के औचित्य से संबं​धित 3-4 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। इसके अलावा बिचौलियों को भी नोटिस जारी किए गए हैं। इस मामले में अब तक 100 से अधिक ऑनलाइन एवं ऑफलाइन बिचौलियों से पूछताछ की जा चुकी है।

Also Read: टैक्स चोरी के मामले में बीमा कंपनियों को मिली कारण बताओ नोटिस

डेलॉयट इंडिया (Deloitte India) के पार्टनर एमएस म​णि ने कहा, ‘जिन वाहन डीलरों ने निर्धारित सीमा से अधिक कमीशन के लिए चालान जारी किए हैं उन्हें पूछताछ के लिए जीएसटी अ​धिकारियों ने बुलाया है। ऐसे बीमा बिचौलियों द्वारा प्रदान की गई विपणन सेवाओं के लिए भी उपयुक्त करार एवं डेटा के साथ साबित करने की जरूरत होगी। इसलिए उसकी तैयारी करना आवश्यक है।’

सामान्य बीमा का लगभग 40 से 50 फीसदी कारोबार वाहन बीमा से संबं​धित है। इसलिए बीमा कंपनियों को वाहन डीलरों के जरिये अच्छी-खासी रकम हासिल होती है।

First Published - April 25, 2023 | 8:38 PM IST

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