भविष्य निधि में सालाना 2.5 लाख रुपये से अधिक का योगदान करने पर कर लगाने के बजट प्रस्ताव से उपजे आक्रोश के बीच सरकार ने दोहराया है कि इस कदम का उद्देश्य अमीरों (एचएनआई) को बड़ी रकम जमा कराने से रोकना है जो कर भुगतान करने वाले वेतनभोगी वर्ग की कीमत पर सुनिश्चित और कर छूट रिटर्न प्राप्त करने के लिए इतना अधिक योगदान करते हैं।
राजस्व विभाग के सूत्रों ने संकेत किया कि एक ओर जहां कुल कर्मचारी भविष्य निधि खातों (ईपीएफ) में एचएनआई योगदानकर्ताओं की संख्या महज 0.27 फीसदी है प्रति खाता उनकी औसत रकम 5.92 करोड़ रुपये है। ईपीएफ में कर मुक्त बहुत बड़ी जमा की बदौलत वे प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 50.3 लाख रुपये की दर से ब्याज के रूप में बहुत बड़ी राशि अर्जित कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि अधिकतम रकम जमा कराने वालों में से एक व्यक्ति के खाते में 103 करोड़ रुपये से अधिक पैसा है। उसके बाद दूसरे स्थान पर काबिज दो लोगों के खातों में 86 करोड़ रुपये और 86 करोड़ रुपये से अधिक पैसा है। शीर्ष 20 एचएनआई के खातों करीब 825 करोड़ रुपये है जबकि शीर्ष 100 एचएनआई योगदानकर्ताओं के पास 2,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम है।
ईपीएफ में 4.5 करोड़ से अधिक योगदानकर्ताओं के खाते हैं जिनमें से 1.23 लाख खातों से अधिक एचएनआई के हैं। इनका कुल योगदान फिलहाल 62,500 करोड़ रुपये का है और सरकार कर छूटों के साथ 8 फीसदी का निश्चित ब्याज का भुगतान कर रही है। सूत्र ने कहा, ‘यह कदम योगदानकर्ताओं के बीच असमानता को दूर करने और यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है कि निश्चित उच्च ब्याज दर के प्रावधान का दुरुपयोग और उसके साथ खिलवाड़ कर हर महीने एक करोड़ रुपये से अधिक की बड़ी रकम जमा कराने वालों को रोका जाए तथा यह कदम उन्हें दूसरे ईमानदार करदाताओं के पैसे को गलत तरीके से अर्जित नहीं करने देने के लिए उठाया गया है।’
सोमवार को घोषित बजट में कहा गया है कि कर्मचारी भविष्य निधि में सालाना 2.5 लाख रुपये और उससे अधिक रकम का योगदान करने से अर्जित् ब्याज पर आयकर की दरों से कर वसूला जाएगा। सूत्रों ने कहा, ‘चूंकि कोई भी कर छूट करदाताओं के पैसे से दी जाती है ऐसे में एचएनआई के एक छोटे समूह को कल्याण की किसी योजना का दुरुपयोग करने और कर मुक्त निश्चित ब्याज अर्जित करने की अनुमति देना अनुचित था। एक औसत ईपीएफ या सामान्य भविष्य निधि योगदानकर्ताओं पर इस बदलाव का कोई असर नहीं होगा।’