निजी ट्रेन चलाने के लिए जारी पहले चरण की निविदा को रेलवे रद्द कर सकता है। मामले के जानकार अधिकारियों के अनुसार निजी रेलगाड़ी चलाने की महत्त्वाकांक्षी योजना को केवल दो बोलियां मिली थीं, जिसके बाद रेल मंत्रालय इस पर दोबारा विचार कर रहा है कि ऐसी ट्रेन चलाना व्यावहारिक है या नहीं।
हालांकि रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इन बोलियों का मूल्यांकन किया जा रहा है। अभी तक प्रक्रिया चल रही है।’
पिछले साल जुलाई में रेल मंत्रालय ने 109 जोड़ी यात्रा मार्गों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी क्षेत्रों से आवेदन पत्र (आरएफक्यू) आमंत्रित किऐ थे। इनमें 151 आधुनिक रेलगाडिय़ों को शामिल किया जाना था। अनुमान के मुताबिक इस परियोजना में निजी क्षेत्र से करीब 30,000 करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान था। भारतीय रेलवे के नेटवर्क में निजी निवेश से यात्री ट्रेन चलाने की यह अपनी तरह की अनूठी पहल थी।
अक्टूबर में रेल मंत्रालय ने कहा कि 12 संकुलों के लिए 15 फर्मों से 120 आवेदन प्राप्त हुए हैं। नवंबर में इन 120 आवेदनों में से 102 को आरएफक्यू में हिस्सा लेने के लिए पात्र पाया गया। सभी संकुलों को फरवरी 2021 तक परियोजना आवंटित करने का लक्ष्य रखा गया था। जिन आवेदकों ने आरएफक्यू जमा कराए थे, उनमें मेघा इंजीनियरिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, साईनाथ सेल्स ऐंड सर्विसेज, आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स, भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी), जीएमआर हाईवेज, वेलस्पन एंटरप्राइजेज, गेटवे रेल फ्रेट और क्यूब हाईवेज ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर-3 शामिल थीं। एलऐंडटी इन्फ्रास्ट्रक्चर, आरके एसोसिएट्स ऐंड होटलियर्स, पीएनसी इन्फ्राटेक, अरविंद एविएशन और बीएचईएल आदि भी इसके लिए पात्र पाई गई थीं। लेकिन पिछले महीने जब वास्तविक बोली खोली गईं तो आईआरसीटीसी और एमईआईएल ने ही बोलियां लगाईं। इससे लगा कि निजी रेल चलाने की परियोजना को ठंडी प्रतिक्रिया मिली है। इसके परिचालन के लिए आईआरसीटीसी साझेदार भी तलाश रही थी ताकि निजी रेल के परिचालन में आने वाली लागत का वहन किया जा सके। मामले के जानकार अधिकारियों ने कहा कि इस बोली को रद्द करने और निजी भागीदारी के लिए नए सिरे से निविदा आमंत्रित करने की चर्चा ने पिछले हफ्ते से जोर पकड़ा है। नई निविदा में राजस्व साझेदारी प्रतिबद्घता में ज्यादा ढील दी जाएगी और बोलीदाताओं को आकर्षित करने के लिए कुछ नियत शुल्क भी माफ किए जा सकते हैं। आस्कहाउइंडिया डॉट ओआरजी के सह-संस्थापक और इन्फ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञ मनीष अग्रवाल ने कहा, ‘निजी ट्रेन चलाने के लिए मौजूदा बोलियां शुरुआत से ही व्यवहार्यता को लेकर अड़चनों का सामना कर रही थीं। निजी ट्रेन को व्यस्त मार्गों पर राजधानी जैसी प्रीमियम रेलगाडिय़ों से सीधी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही थी।