कपास के निर्यात से कपड़ा उद्योग हलकान

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 12:45 AM IST

देश के कपड़ा उद्योग ने सरकार से गुहार लगायी है कि अगर कपास के निर्यात को नियंत्रित नहीं किया गया तो कपडा उद्योग के मुनाफे में 5 से 10 फीसदी तक की कमी हो सकती है।


वर्ष 2007-08 में अगस्त से जुलाई के मध्य देश से 85 लाख बेल्स (एक बेल बराबर 170 किलो) कपास का निर्यात करने का अनुमान है। हालांकि, पहले महज 65 लाख बेल्स कपास के निर्यात का अनुमान था और इस लिहाज से वास्तविक निर्यात 30 फीसदी तक अधिक हो सकती है। भारत की ओर से निर्यात किए जाने वाले कपास का सबसे बड़ा खरीदार चीन है जो कुल निर्यात का 60 फीसदी कपास  आयात करता है।

भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) के अध्यक्ष पी डी पटोडिया ने कहा कि अगर हम बिना नजर रखे मनमाने कपास का र्नियात करते रहे तो यह घरेलू बाजार के लिए अच्छा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को कपास के निर्यात पर निगरानी रखनी ही होगी।

कपास सलाहकार समिति (सीएबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष कुल कपास उत्पादन का 27 फीसदी हिस्सा निर्यात किए जाने की संभावना है। इस वर्ष कुल 3.15 करोड़ बेल कपास का उत्पादन किया गया है। वहीं अगर अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति के ताजा जारी किए गए आंकड़ों की मानें तो भारत 2008-09 के दौरान 96 लाख बेल्स कपास का निर्यात कर सकता है।

तिरुपुर के केपीआर मिल के प्रबंध निदेशक पी नटराज ने कहा कि कपास की ऊंची कीमतों से घरेलू इकाइयों को खासा नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर कीमतों में गिरावट देखने को नहीं मिली तो सबसे अधिक मार बुनाई क्षेत्र पर पड़ेगी। उन्होंने कहा कि कीमतों में नरमी नहीं आई तो उद्योग के मुनाफे में कम से कम 5 से 10 फीसदी की कमी आएगी।

इस स्थिति से निपटने के लिए वस्त्र उद्योग ने सरकार से कपास के निर्यात पर नियंत्रण रखने की मांग की है। बिड़ला कॉटसिन के अध्यक्ष और सीईओ के के बहेटी ने कहा, ‘कपास की बढ़ती कीमतों से उद्योग के मुनाफे में 10 फीसदी की कमी आएगी और हमें इस पर नजर रखनी चाहिए।’

हालांकि, उद्योग के कुछ लोगों की राय इस बारे में अलग है। उनका मानना है कि निर्यात से कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के निदेशक के एफ झुनझुनवाला इस बारे में कहते हैं, ‘अगर देश में कुल कपास की खपत से अधिक की पैदावार हो रही है तो मुझे कोई वजह नजर नहीं आती की निर्यात में कमी लायी जाए।’

हैदराबाद के सूर्यज्योति बुनाई मिल के कार्यकारी निदेशक ए के अग्रवाल का मानना है कि सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कीमतें बढ़ी हैं और ऐसा नहीं है कि इससे किसानों का मुनाफा बढ़ा है। दरअसल जो कमाई हो रही है वह बिचौलियो की झोली में जा रही है।

जब कपड़ा मंत्रालय के एक अधिकारी से इस बारे में संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ‘सरकार कपास के निर्यात पर उद्योग से प्रस्ताव पर विचार कर रही है।’ हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि आखिरकार इस मामले में क्या निर्णय लिया जाएगा।

First Published : May 21, 2008 | 11:34 PM IST