अगर पिछला बजट 2020-21 के संकुचन के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को बहाल करने के लिए था तो आगामी 2022-23 का केंद्रीय बजट इसकी सेहत को महामारी के पहले के स्तर पर लेकर आने को लेकर है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने आने वाली चुनौतियां बड़ी हैं।
वित्त वर्ष 2021-22 में रिकवरी हुई। वित्त वर्ष 22 के पहले अग्रिम अनुमान में रियल जीडीपी वृद्धि 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमानन लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 21 की समान अवधि में 7.3 प्रतिशत का संकुचन आया था। कॉर्पोरेट के परिणाम मजबूत हैं और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर के माध्यम से केंद्र का राजस्व आसानी से बजट लक्ष्य के पार चला जाएगा। इस वित्त वर्ष में कोविड-19 की दो खतरनाक लहर के बाद व्यापक रूप से औपचारिक अर्थव्यवस्था वापसी कर रही है। बाजार में तेजी है और कैलेंडर वर्ष 2021 में 44 यूनीकॉर्न बने हैं।
हालांकि अभी भी दबाव के चिंताजनक संकेत मिल रहे हैं। तमाम एमएसएमई अभी पूरी तरह पटरी पर लौटने बाकी हैं और आतिथ्य, आराम, पर्यटन व अन्य संपर्क वाले क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक निजी अंतिम खपत व्यय, जिससे परिवारों की खपत का पता चलता है, महामारी के पहले के नीचे रहने की उम्मीद है। स्वास्थ्य पर व्यय बढऩे से परिवार की बचत कम हई है। ऑक्सफेम की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड के कारण 84 प्रतिशत परिवारों की आमदनी में कमी आई है।
उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ गोवा और मणिपुर में अहम चुनाव होने जा रहे हैं और यहां बेरोजगारी अहम चुनावी मसला है। यह हाल में रेलवे की नौकरियों के इच्छुक अभ्यर्थियों के प्रदर्शन से पता चलता है। साथ ही अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की मई में आई रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के कारण देश में 23 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं।
अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि सीतारमण का चौथा बजट मामूली राजकोषीय सुधार और व्यापक सार्वजनिक निवेश पर केंद्रित होगा जिससे कि आय व खपत में बढ़ोतरी और नौकरियों का सृजन हो सके।
भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने कहा, ‘बजट का मुख्य मकसद माहौल बेहतर करने पर केंद्रित करने पर होना चाहिए, जिसमें दीर्घावधि नीति की जगह कम अवधि की स्थिरीकरण की नीति हो। बजट में धीरे धीरे राजकोषीय समेकन को भी जगह मिलनी चाहिए।’
ज्यादातर विश्लेषकों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 23 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 6.5 प्रतिशत रहेगा, जो वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान में 6.8 प्रतिशत था। इस साल का लक्ष्य संभवत: ज्यादा व्यय बोझ के कारण हासिल नहीं हो पाएगा।
इंडिया रेटिंग्स में प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 2023 का बजट समेकन और और योजनाओं को मजबूत बनाने पर होगा, जो वित्त वर्ष 22 में लाई गई थीं, न कि नई चीजें लाई जाएंगी।’ सिन्हा ने कहा कि आने वाले साल में पूंजीगत व्यय ग्रामीण बुनियादी ढांचे और परियोनजाओं पर ज्यादा लक्षित हो सकता है।