अर्थव्यवस्था

दूसरी छमाही में जोर पकड़ेगी वृद्धि, कंपनी जगत ने जताया भरोसा

नई दिल्ली की फार्मा कंपनी मॉरपेन लैब्स के सीएमडी सुशील सूरी ने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों से ग्राहकों के खर्च या जमीनी स्तर पर उल्लेखनीय असर पड़ने की आशंका नहीं है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- November 29, 2024 | 10:19 PM IST

चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर की रफ्तार में तेज गिरावट के बावजूद भारतीय कंपनी जगत को भरोसा है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर तेज हो जाएगी।

वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े मॉनसून की अनियमितताओं के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में उम्मीद से ज्यादा धीमी खपत वृद्धि का संकेत देते हैं। इसका असर रिटेल और खनन से लेकर वाहन सहित सभी उद्योगों में दिखा है। एक बड़ी कंपनी के चेयरमैन ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘शहरी मांग कम है मगर ग्रामीण मांग में सुधार दिख रहा है।’

लॉजि​स्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक विनीत अग्रवाल ने कहा, ‘सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय बढ़ने की उम्मीद, त्योहारी सीजन के दौरान मांग बढ़ने और ग्रामीण बाजारों में ​स्थिर मांग को देखते हुए आने वाली तिमाहियों और वित्त वर्ष 2025 में बेहतर आंकड़े दिखने की संभावना है।’

अन्य मुख्य कार्या​धिकारियों ने नरमी के रुझान पर चिंता जताई और कहा कि वृद्धि दर में नरमी के पीछे मॉनसून की बड़ी भूमिका रही। टेक्साइल कंपनी टीटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के नैशनल कमिटी के चेयरमैन संजय के जैन ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि भारत में तेज वृद्धि को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया हो सकता है और शेयर बाजार में तेजी को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। हालांकि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा लेकिन यह चीन की तरह दो अंकों में वृद्धि नहीं कर पाएगी। भारत की वृद्धि दर मध्यम लगभग 6 से 7 फीसदी रहने की संभावना है और यह अधिक टिकाऊ और यथार्थवादी अपेक्षा है। हमें इसे स्वीकार करना होगा और उसके अनुसार विस्तार की योजना बनाने की जरूरत है। नए जमाने के उद्योगों में अप्रत्या​शित वृद्धि होगी क्योंकि उनका वर्तमान आधार कम बना रहेगा।’

म​णिपाल हॉ​स्पिटल्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्या​धिकारी दिलीप जोस ने कहा कि उद्योग को जीडीपी के आंकड़ों का विश्लेषण और स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र के प्रदर्शन का आकलन करना चाहिए। जोस ने कहा, ‘मध्यम से लंबी अव​धि का परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। ऐसे में एक तिमाही के कमजोर आंकड़ों से हमारी योजना पर असर नहीं पड़ना चाहिए।’

नई दिल्ली की फार्मा कंपनी मॉरपेन लैब्स के सीएमडी सुशील सूरी ने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों से ग्राहकों के खर्च या जमीनी स्तर पर उल्लेखनीय असर पड़ने की आशंका नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘अगली दो तिमाहियों के दौरान 50 लाख शादियों पर करीब 6 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे और यह पैसा अंतत: अर्थव्यवस्था में ही आएगा। लंबी अव​धि में भारत में खपत का रूझान सकारात्मक बना हुआ है। हमारे नजरिये में कोई बदलाव नहीं आया है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में मुख्य रूप से निवेश और विनिर्माण से वृद्धि को बल मिला था।’

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों से पता चलता है कि निवेश में तेज गिरावट आई है क्योंकि चुनावों के कारण साल की पहली छमाही में सरकार का पूंजीगत खर्च कम रहा था। निजी खपत भी धीमी रही मगर समग्र जीडीपी वृद्धि से ज्यादा तेजी से बढ़ी है।

First Published : November 29, 2024 | 10:19 PM IST