आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि महामारी के दौरान मांग बढ़ाने के लिए सरकार ने आपूर्ति को लेकर सुधार के कदम उठाए हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में लचीलापन और पलटाव आ सके।
इसमें सरकार की ओर से आपूर्ति की दिशा में उठाए गए कदमों का बचाव किया गया है, जो महामारी के दौरान नीतिगत प्रतिक्रिया के रूप में केंद्र ने उठाए थे। समीक्षा में कहा गया है कि यह गलत विचार है कि महामारी के कारण व्यवधान से मांग को झटका लगा है। समीक्षा में कहा गया है, ‘भारत की प्रतिक्रिया आपूर्ति क्षेत्र में सुधार को लेकर रही, न कि पूरी तरह से मांग के प्रबंधन पर निर्भरता रही। सरकार ने आक्रामक रूप से आपूर्ति सुधार के कदम उठाए, जिससे अर्थव्यवस्था लंबे समय के हिसाब से विकास की राह के लिए तैयार हो सके।’
समीक्षा में कहा गया है कि आपूर्ति को लेकर सुधारों की रणनीति की दो प्रमुख अवधारणा लचीलापन और पलटाव है। लचीलेपन और नवोन्मेष के माध्यम से कोविड के बाद की दुनिया की अनिश्चितता से निपटने की कवायद की गई है, जिसमें विनियमन, प्रक्रिया संबंधी सुधार, निजीकरण, उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन आदि शामिल हैं। पलटाव में हाउसिंग, जलापूर्ति, रसोई गैस और शौचालय जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे के काम और आत्म निर्भर भारत की नीतियां शामिल हैं।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘कोविड के बाद की दुनिया कई चीजों से प्रभावित होगी, जिनमें तकनीक में बदलाव, ग्राहकों के व्यवहार, भू-राजनीतिक व जलवायु परिवर्तन संबंधी बदलाव आदि शामिल हैं। इसलिए कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था महज फिर से महंगाई और कोविड के पहले वाली अर्थव्यवस्था नहीं होगी। ऐसे में सिर्फ मांग संबंधी कदम समाधान नहीं हैं।’ महामारी से उपजे व्यवधान से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं। शुरुआती महीनों में इसमेंं उन लोगों को खाद्यान्न पहुंचाना शामिल रहा, जिनकी आमदनी चली गई। साथ ही भारत की छोटी फर्मों को मदद पहुंचाई गई। उसके बाद दीर्घावधि के हिसाब से आपूर्ति संबंधी कदम उठाए गए, जिसमें उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, संपत्ति का मुद्रीकरण, उदारीकृत एफडीआई मानक और सार्वजनिक खरीद नीति शामिल है।