पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के नए अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने आज कहा कि अगले बचट में अधिकत आयकर दर को मौजूदा 30 फीसदी और उपकरों से कम करीब 25 फीसदी किया जाना चाहिए।
पैरामाउंट केबल्स के चेयरमैन और मुख्य कार्याधिकारी अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘मौजूदा परिदृश्य में प्रत्यक्ष कर ढांचे में सुधार कर लोगों की खर्च योग्य आय में इजाफा करने की जरूरत है। अधिकतम व्यक्तिगत आयकर की दर 25 फीसदी की जानी चाहिए ताकि लोगों के पास खर्च करने योग्य बढ़े जिससे अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी।’
उनका बयान अर्थशास्त्री जोसेफ स्टिग्लिट्ज के विचार से उलट है जिन्होंने कहा था कि मौजूदा परिस्थितियों में अमीरों पर अधिक कर लगाया जाना चाहिए।
फिलहाल, 10 लाख रुपये से अधिक आय पर 30 फीसदी कर लगता है। इसके अलावा पुरानी व्यवस्था के तहत 4 फीसदी का शिक्षा और स्वास्थ्य उपकर भी वसूला जाता है। यदि व्यक्ति कम छूटों वाली नई योजना का चुनाव करता है तो 15 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर उसे 30 फीसदी कर देना पड़ता है। इसके अलावा यदि सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक है तो उपकर भी लगाया जाता है जो कर दर के 37 फीसदी तक जाता है। यह आय की रकम पर निर्भर करता है।
अग्रवाल ने कहा कि बजट का ध्यान बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता देने, निवेशों के प्रवाह को बढ़ाने, अन्य देशों से भारत में अपना कारोबार स्थानांतरित करने पर विचार कर रही कंपनियों के लिए सहायक और आकर्षक कारोबारी माहौल तैयार करने पर होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, बजट में भारत के सेवा और विनिर्माण क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश में पूर्ण लॉकडाउन के विगत कुछ महीने और मॉल, जिम, पब, रेस्तरां, स्पा, आधी रात तक चलने वाले बाजारों और मंडियों के बद रहने से छोटे उद्यमियों पर असर पड़ा है विशेषकर उनके राजस्व का स्रोत प्रभावित हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन ने एमएसएमई उत्पादों की मांग को रोक दिया, आपूर्ति शृंखला बाधित होने से कच्चे माल की कीमतों पर असर पड़ा जिससे उत्पादन की लागत बढ़ गई और कारोबारी कंपनियों के कीमत मूल्य मार्जिन घट गई। इसके परिणामस्वरूप एमएसएमई के नकद प्रवाह पर असर पड़ा।’