वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को विश्वास जताया कि आयकर दाखिल करने का हालिया स्तर सात करोड़ से कई गुना बढ़कर 2047 तक 48.2 करोड़ हो जाएगा। इस लक्ष्य को हकीकत में बदलने के लिए अगले नौ वर्षों में कुल सालाना आयकर विवरणिका करीब 14.9 करोड़ होने की जरूरत है। इस तर्ज पर ही वृद्धि होने पर लक्ष्य हासिल हो पाएगा।
स्वतंत्रता प्राप्ति के सात दशकों में सबसे अधिक आयकर विवरणिका इस वर्ष हुई है। लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वित्त वर्ष 32 में 7.6 करोड़ अतिरिक्त आयकर विवरणिका दाखिल करने की जरूरत होगी। इसमें यह आकलन भी किया गया है कि हाल के वर्षों की तुलना में कम वृद्धि दर होगी जबकि काम करने वाली जनसंख्या की बढ़ती उम्र के रोजगार अवसरों और समय के अनुरूप आय में वृद्धि होने से लक्ष्य को हासिल करन में मदद मिलेगी।
बीते वर्षों की आयकर विवरणिका दाखिल करने में वृद्धि होने से यह पता चलता है कि ऐसी वृद्धि दर को पहले भी हासिल किया जा चुका है। वित्त वर्ष 14 और वित्त वर्ष 23 के बीच चक्रवृद्धि वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत थी। वित्त मंत्री के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 8.2 प्रतिशत की वृद्धि चाहिए होगी।
वित्त मंत्री के बयान के अनुसार 2047 तक आयकर दाखिल करने वालों की संख्या करीब आधा लाख करोड़ होगी। इसका तात्पर्य यह है कि वित्त वर्ष 27 तक 10 करोड़, वित्त वर्ष 36 तक 20 करोड़, वित्त वर्ष 41 तक 30 करोड़ और वित्त वर्ष 45 तक 40 करोड़ के आंकड़े पार करने होंगे।
संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या अनुमान के विश्लेषण के मुताबिक भारत में 2047 तक पर्याप्त कामकाजी उम्र के लोग होंगे। वर्ष 2047 तक 15 से 64 साल के एक अरब से अधिक लोग होने चाहिए और भारत की कुल जनसंख्या में इस आयु वर्ग की हिस्सेदारी 68 फीसदी होगी। कार्यशील आयु की जनसंख्या अपने उच्चतम स्तर पर 2032 में होने की उम्मीद है, यह उस समय करीब 69 फीसदी होगी।
आयकर विवरणिका दाखिल करने में हाल में कुछ फायदा औपचारिकता बढ़ने के कारण हुआ है। इसका अर्थ यह हुआ कि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में खास दायरे में कमाने वाले अब आयकर विवरणिका भरने लगे हैं। बढ़ती आय से वृद्धिशील लाभ प्राप्त किेए जा सकते हैं। अब अधिक लोगों को पर्याप्त आमदनी वाली नौकरियां मिल रही हैं और उन्हें आयकर अदा करना पड़ता है।
पीडब्ल्यूसी के हालिया नोट के लेखक रानेन बनर्जी ने शीर्षक इंडिया@47 में लिखा है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय 2047 तक उल्लेखनीय रूप से बढ़ने की संभावना है। लिहाजा लाखों कामकाजी लोगों के कौशल को बढ़ाने की जरूरत होगी।
आयकर लक्ष्य को हासिल करने का सबसे बड़ा कारक महिलाओं का अधिक कार्य करना हो सकता है। महिला श्रम बल के तहत कामकाजी महिलाएं या रोजगार चाहने वाली महिलाएं आती हैं। भारत में महिला श्रम बल की भागीदारी 24 प्रतिशत है। वहीं बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं जैसे ब्राजील, रूस और चीन में महिला श्रम बल की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है।