भारत सरकार के एक आदेश के तहत अब देश में स्टील का आयात भारतीय मानक ब्यूरो के तय मानदंडों के आधार पर ही हो सकता है।
देसी स्टील उत्पादकों को भी इन मानदंडों पर खरा उतरना होगा यानी अब उन्हें भी अपने उत्पाद पर आईएर्सआई का ठप्पा लगवाना पड़ेगा। इस आदेश से छोटी और मझोली स्टील कंपनियों पर सबसे ज्यादा असर होगा।
देश में साढ़े पांच करोड़ टन स्टील की सालाना खपत होती है जिसका 7 से 8 फीसदी आयात करना पड़ता है। आयात भी खासकर चीन, जापान और कोरिया जैसे देशों से होता है। दूसरे दर्जे के ये स्टील उत्पादक किफायती कीमतों की वजह से काफी हद तक आयातित स्टील पर ही निर्भर हैं।
स्टील एवं स्टील उत्पाद (गुणवत्ता नियंत्रण) द्वितीय आदेश नाम के इस सरकारी निर्देश को 12 सितंबर 2008 से ही लागू होना था लेकिन छोटे स्टील उत्पादकों के दबाव की वजह से इसमें विलंब होता रहा। लेकिन अब यह 12 फरवरी 2009 से लागू हो जाएगा।
छोटे देसी स्टील उत्पादक तो इसका विरोध कर ही रहे हैं, दूसरे देशों की भौंहे भी इसको लेकर तन गई हैं। छोटे स्टील उत्पादकों का कहना है कि इस आदेश से देश की बड़ी स्टील कंपनियो का दबदबा और बढ़ जाएगा और उन्हें इन बड़ी कंपनियों पर निर्भर होना पड़ेगा।
इस बारे में स्टील सचिव पी के रस्तोगी ने कहा, ‘आदेश स्टील के निर्यात पर भी लागू है। इसको कब से लागू किया जाए इस बारे में मंत्रालय में विचार चल रहा है। दूसरे दर्जे के स्टील उत्पादकों की गुजारिश पर यह पहले ही टल चुका है।’
इसको लेकर केवल देश में ही विरोध नहीं हो रहा है। जापान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने भी इसका विरोध किया है।