अर्थव्यवस्था

‘मुद्रास्फीति घटने से वृद्धि को मिलेगी मदद’

मल्होत्रा ने कहा, "भारत निश्चित रूप से 7 प्रतिशत या उससे अधिक की वृद्धि दर हासिल कर सकता है। हमें निश्चित रूप से इसके लिए प्रयास करना चाहिए।"

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- February 08, 2025 | 4:25 PM IST

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के अलावा डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव, टी रवि शंकर और स्वामीनाथन जानकीरमण ने नीतिगत बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में मौद्रिक नीति और वित्तीय क्षेत्र से संबंधित कई मुद्दों पर बातचीत की। मुख्य अंश:

आम तौर पर ब्याज दरों में कटौती तब की जाती है जब अतिरिक्त नकदी होती है। आपकी घोषित नीति बैंकिंग प्रणाली में तरलता अधिशेष बनाए रखने की होगी या सिर्फ पर्याप्त रखने की?

मल्होत्रा: आपने पिछले कुछ महीनों में और उससे भी पहले देखा होगा कि रिजर्व बैंक इस पर जोर देता रहा है कि जरूरत के हिसाब से तरलता उपलब्ध कराई जाए। जब हम तरलता की बात करते हैं तो इसका मतलब ओवरनाइट के साथ साथ टिकाऊ तरलता है। हमने कई कदम उठाए हैं। हम हमेशा सतर्क हैं। मैं यह आश्वासन देना चाहता हूं कि तरलता संबंधी जरूरतें पूरा करने में हम अपने से सक्रिय रहेंगे।

क्या यह कहना सही है कि इस समय मुद्रास्फीति के मुकाबले वृद्धि को प्राथमिकता दी जा रही है?

आरबीआई अधिनियम ने हमारे लिए बहुत स्पष्ट आदेश है। जैसा कि आप जानते हैं, कुछ देशों के लिए यह दोहरा उद्देश्य है। हमारे मामले में प्राथमिक उद्देश्य मुद्रास्फीति है, यह वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता है। इसलिए, हम लगातार उस पर ध्यान केंद्रित करेंगे। समय आ गया है जब हम वृद्धि में मदद करें क्योंकि मुद्रास्फीति नीचे आ रही है।

वृद्धि और मुद्रास्फीति के मौजूदा समीकरण को देखते हुए आपके अनुसार वास्तविक दर क्या है?

आज हम 6.25 फीसदी (रीपो दर) पर हैं और मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत है। यह सीपीआई मुद्रास्फीति है। डब्ल्यूपीआई कम है। इसलिए डेढ़ प्रतिशत या उससे अधिक की वास्तविक दर है।

क्या ‘कम सख्त मौद्रिक नीति’ मौजूदा एमपीसी तक ही सीमित है?

मौजूदा समय में हमें जिन अनिश्चितताओं से जूझना पड़ रहा है, उनकी वजह से हम अपने नजरिये में आसानी से बदलाव नहीं ला सकते। हमारा रुख तटस्थ बना हुआ है। यह कम सख्त नीति केवल इस विशेष एमपीसी बैठक के लिए है, आगे के लिए नहीं।

 क्या 7 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर हासिल की जा सकती है?

मैं पूरी ईमानदारी से कहना चाहूंगा कि भारत निश्चित रूप से 7 प्रतिशत या उससे अधिक की वृद्धि दर हासिल कर सकता है। हमें निश्चित रूप से इसके लिए प्रयास करना चाहिए।

बैंक अभी भी सख्त व्यापार नीतियों से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं। क्या आप बैंकों के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करेंगे, आप बैंकों को कैसे लक्षित करना चाहेंगे या कुछ कमियों को सुधारने के लिए उनके साथ कैसे काम करना चाहेंगे?

ये कदम बहुत सोच-विचार के बाद इन संस्थाओं को अवसर देने के बाद उठाए गए हैं। यह एक अंतिम उपाय है जिसका उपयोग अत्यंत दुर्लभ परिस्थितियों में किया जाता है जब अन्य सभी उपाय वास्तव में विफल हो गए हों। यह फिर से जनता के हित में है और हम इस नीति को आगे भी जारी रखेंगे।

क्या बजट में कर रियायतों का मुद्रास्फीति पर असर पड़ेगा?

मुझे नहीं लगता कि 1 लाख करोड़ रुपये के कर प्रोत्साहन का मुद्रास्फीति पर कोई प्रभाव पड़ेगा। कुल मिलाकर, मेरा मानना है कि बजट आकर्षक है विकास परिदृश्य से और मुद्रास्फीति के नजरिये से भी।

क्या ट्रंप की वजह से आरबीआई क्रिप्टो पर अपना रुख बदलेगा?

टी रवि शंकर: क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई की सोच बेहद स्पष्ट है क्योंकि यह क्रिप्टो के बारे में हमारे अनुभव और समझ पर आधारित है। क्रिप्टो पर हमारी समझ किसी देश द्वारा अपनाई गई नीति से नहीं बदलेगी।  

हम एमएफआई संस्थाओं में बहुत अधिक दबाव और जरूरत से ज्यादा कर्ज देख रहे हैं। क्या आप इस पर कुछ कहना चाहेंगे?

स्वामीनाथन जे: अगर आप वही विनियामक निर्देश पढ़ें जो हमने 23 नवंबर को जारी किए थे, तो पता चल जाएगा कि उसमें हमने आवास या वाहन ऋण या शिक्षा ऋण जैसे विकासोन्मुख क्षेत्रों को बाहर रखा था।

First Published : February 8, 2025 | 11:33 AM IST