बोफा सिक्योरिटीज की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत साल 2031 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर उभर सकता है और उस साल भारत डॉलर के लिहाज से जापान के नॉमिनल जीडीपी को छू सकता है। यह भविष्यवाणी वास्तविक बढ़त की रफ्तार 6 फीसदी, महंगाई 5 फीसदी और ह्रास 2 फीसदी मानते हुए की गई है। अभी भारत नॉमिनल जीडीपी के लिहाज से दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के लिहाज से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था।
साल 2017 में बोफा सिक्योरिटीज ने अनुमान जताया था कि साल 2028 तक भारतीय अर्थव्यवस्था इस स्तर पर पहुंच जाएगी, लेकिन कोविड महामारी के कारण अब इसमें तीन साल की बढ़ोतरी हो गई है। विगत के अनुमान में बोफा सिक्योरिटीज ने तीन चीजों को आधार बनाया था – कुल आबादी में काम करने वालों की संख्या ऊंची रहने के फायदे, वित्तीय परिपक्वता में इजाफा और बड़े पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन व विपणन। बोफा का कहना है कि ये चीजें अभी भी मजबूत हैं।
बोफा सिक्योरिटीज ने दो अन्य प्रभावी कारकों की पहचान की है – विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा और वास्तविक ब्याज दरों में नरमी। इससे देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिल सकती है।
बोफा सिक्योरिटीज के भारतीय अर्थशास्त्री इंद्रनील सेन गुप्ता ने ए. गुडवानी के साथ इस रिपोर्ट में लिखा है, हमने संकीर्ण रूप से 9 फीसदी की बढ़त का अनुमान लगाया है और इसे तीन साल और आगे बढ़ाकर 2031 कर दिया है। 6 फीसदी वास्तविक बढ़त का हमारा अनुमान वास्तव में साल 2014 के बाद से दर्ज 6.5 फीसदी के औसत से नीचे है। महंगाई दर 6 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करना महंगाई के हालिया अनुमान से मेल खाते हैं। अंतत: हमने सालाना औसत ह्रास 3 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी किया है और आरबीआई पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार फिर से हासिल कर रहा है।
मुख्य चिंता
बोफा ने कहा, तेल की बढ़ती कीमतें महंगाई में इजाफा कर सकती है, जो चिंता का विषय है और इन अनुमानों को जोखिम में डालता है। विश्लेषकों ने कहा, जिंस की कीमतों में बढ़ोतरी (खास तौर से कच्चा तेल) के अलावा देश भर में कोरोना के बढ़ रहे मामले भी जोखिम पैदा करते हैं, जो अल्पावधि से मध्यम अवधि में आर्थिक सुधार पर चोट पहुंचा सकता है। यह असर हालांकि साल 2020 मेंं हुए लॉकडाउन के कारण पड़े असर के मुकाबले बहुत ज्यादा गंभीर नहींं होंगे।