मई में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 1.5 लाख करोड़ रुपये से नीचे रहा। आज जारी आंकड़ों के अनुसार मई में करीब 1.41 लाख करोड़ रुपये जीएसटी संग्रह हुआ, जो पिछले साल मई के मुकाबले 44 फीसदी अधिक है।
मई में जीएसटी संग्रह अप्रैल के रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ रुपये से 26,655 करोड़ रुपये कम रहा। मार्च में 1.42 लाख करोड़ रुपये जीएसटी मिला था। इसके बावजूद जुलाई 2017 से जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद से इस मई में चौथा सबसे बड़ा संग्रह दर्ज किया गया। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जनवरी में 1.40 लाख करोड़ रुपये और फरवरी में 1.33 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी प्राप्त हुआ था।
अप्रैल की तुलना में मई में जीएसटी संग्रह घटने का अनुमान पहले ही लगाया जा रहा था क्योंकि अप्रैल में संग्रह वित्त वर्ष समाप्त होने की वजह से बहुत अधिक बढ़ा था। साथ ही महामारी की दूसरी लहर के कारण पिछले साल अप्रैल में कम संग्रह रहने के कारण इस बार वृद्धि ज्यादा रही।
मंत्रालय ने कहा, ‘मई में जीएसटी संग्रह असल में अप्रैल में किए गए कारोबार से जुड़ा होता है और वित्त वर्ष के पहले महीने में हमेशा कर संग्रह कम होता है। अप्रैल के आंकड़े मार्च यानी वित्त वर्ष के अंतिम महीने के सौदों से संबंधित होते हैं, जो आम तौर पर ज्यादा होता है।’ बहरहाल मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष के पहले महीने के हिसाब से जीएसटी संग्रह का आंकड़ा उत्साहजनक है।
सकल जीएसटी राजस्व मार्च से लगातार तीसरे महीने 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। मई में जीएसटी संग्रह पिछले साल मई के मुकाबले 44 फीसदी बढ़ा है। साल भर पहले संग्रह का आंकड़ा केवल 97,821 करोड़ रुपये था। मई के जीएसटी संग्रह में केंद्रीय जीएसटी 25,036 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी 32,001 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी 73,345 करोड़ रुपये रहा। कुल जीएसटी राजस्व में 37,467 करोड़ रुपये आईजीएसटी और 10,502 करोड़ रुपये का उपकर भी शामिल है। पिछले साल मई की तुलना में इस साल मई में वस्तुओं के आयात से जीएसटी संग्रह 43 फीसदी और घरेलू सौदों से 44 फीसदी बढ़ा है।