यूपीआई लेनदेन ने एटीएम को पीछे छोड़ा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 10:04 PM IST

महामारी में सब कुछ बहुत तेजी से बदल रहा है। लोगों ने रेस्तरां में खाने-पीने पर खर्च लगभग बंद ही कर दिया है मगर मोबाइल डेटा और ब्रॉडबैंड पर खर्च अच्छा खासा बढ़ गया है। सैर-सपाटे पर होने वाला खर्च बचाया जा रहा है और सेहत की देखभाल पर खर्च बढ़ाया जा रहा है। इतना ही नहीं अब हम डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल बहुत ज्यादा कर रहे हैं और नकदी को कोई भाव नहीं दिया जा रहा है। आसपास की परचून की दुकानें हों या फल विक्रता या कैब ड्राइवर… हर कोई डिजिटल भुगतान स्वीकार कर रहा है बल्कि उनमें से कई तो नकद के बजाय डिजिटल भुगतान ही पसंद कर रहे हैं।
बदलती पसंद का ही नतीजा है कि डिजिटल लेनदेन का नया तरीका यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) चौंकाने वाला रिकॉर्ड बना चुका है। अप्रैल से अभी तक यूपीआई के जरिये इतनी रकम का भुगतान हो चुका है, जितनी एटीएम से निकासी भी नहीं हो पाई है यानी यूपीआई भुगतान ने एटीएम निकासी को पछाड़ दिया है। महामारी से पहले डेबिट कार्ड के जरिये एटीएम से हर महीने 3.5 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा रकम निकाली जाती थी। मगर इस समय देश भर में लोग एटीएम से हर महीने 2.3 से 2.4 लाख करोड़ रुपये ही निकाल रहे हैं। उधर भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार यूपीआई के जरिये हर महीने 2.9 से 3 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हो रहा है, जबकि साल भर पहले यूपीआई से हर महीने 1.8 से 2 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन ही हो रहा था और एटीएम से 3 लाख करोड़ रुपये निकाले जा रहे थे।
यूपीआई से होने वाले लेनदेन की संख्या में भी जबरदस्त इजाफा देखा जा रहा है। महामारी से पहले यूपीआई पर रोजाना 4 करोड़ लेनदेन होते थे, जो अक्टूबर में 7 करोड़ लेनदेन रोजाना तक पहुंच गए। यूपीआई भुगतान असफल रहने की जो शिकायत आजकल आ रही हैं, उनके पीछे संख्या में एकाएक उछाल भी एक वजह हो सकती है। दिलचस्प है कि डिजिटल भुगतान ने एटीएम निकासी को तब पछाड़ा है, जब लोगों के पास अब तक की सबसे ज्यादा नकदी पड़ी है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि तरलता बढ़ जाने और संकट के समय के लिए नकदी बचाकर रखने की वजह से अर्थव्यवस्था में नकदी का स्तर बढ़ा है।
ऑनलाइन भुगतान गेटवे कंपनी रेजरपे के मुख्य कार्याधिकारी हर्षिल माथुर ने कहा कि महामारी के दौरान छोटे-मझोले शहरों से यूपीआई भुगतान बहुत बढ़ा है।   
रेजरपे के हर्षिल माथुर ने कहा कि यूपीआई भुगतान बढऩे की वजह यह भी है कि रोजाना नए व्यापारी और दुकानदार यूपीआई प्लेटफॉर्म से जुड़ रहे हैं। उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘डिजिटल लेनदेन का चलन पहले से ही बढ़ रहा था, कोविड-19 ने इसे और रफ्तार दे दी। लोग समझ रहे हैं कि इसका इस्तेमाल आसान है और कोई शुल्क भी नहीं लगता। इसलिए ऐसा लग नहीं रहा है कि वे नकद भुगतान की ओर लौटेंगे।’
माथुर मानते हैं कि बिलों का भुगतान ऑनलाइन किया जाए तो समझ जाइए कि ऑनलाइन भुगतान को व्यापक स्वीकृति मिल गई है। उन्होंने बताया कि इन दिनों ऑनलाइल बिल भुगतान में 150 फीसदी का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘आम तौर पर लोग सबसे पहले ट्रेन का टिकट बुक कराने के लिए ही डिजिटल भुगतान करते हैं। एक बार ऑनलाइन टिकट बुक कराने के बाद क्या कोई आदमी अगली बार टिकट खिड़की पर कतार में खड़ा होगा? इसीलिए मुझे लगता है कि डिजिटल लेनदेन में तेजी आगे भी बनी रहेगी।’  यूपीआई सभी डिजिटल भुगतान प्रणालियों में सबसे सरल है। नोटबंदी के बाद भुगतान वॉलेट्स ने जोर पकड़ा था मगर यूपीआई के लोकप्रिय होने के बाद उनमें ठहराव आ गया है। उनसे भी ज्यादा दिक्कत कार्ड कंपनियों को हो रही होगी क्योंकि पॉइंट ऑफ सेल टर्मिनल डेबिट और क्रेडिट कार्ड का चलन अगस्त तक भी कोरोना से पहले के स्तर पर नहीं पहुंच पाया है।

First Published : October 29, 2020 | 11:48 PM IST