मार्च महीने में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 8 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। ईंधन और विनिर्मित उत्पादों के दाम बढऩे से ऐसा हुआ है। अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया है कि पिछले साल का आधार कम होने और खाद्य महंगाई की वजह से निकट भविष्य में महंगाई दर दो अंकों में पहुंच सकती है। इसकी वजह से निकट भविष्य में नीतिगत दरों में कमी की संभावना कम हो गई है, भले ही कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च में थोक महंगाई 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो फरवरी में 4.17 प्रतिशत और जनवरी में 2.51 प्रतिशत थी। मंगलवार को खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए थे, उसमें भी मार्च में महंगाई दर 4 महीने के उच्च स्तर 5.03 प्रतिशत पर थी। खाद्य एवं प्रमुख क्षेत्र में तेज बढ़ोतरी के कारण खुदरा महंगाई बढ़ी थी।
इक्रा रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘थोक महंगाई दर हमारी 6.1 प्रतिशत की उम्मीदों से बहुत ज्यादा है और यह प्रमुख सामान व ईंधन की महंगाई के मुताबिक लगाए गए अनुमान से ज्यादा है। हम उम्मीद करते हैं कि प्रमुख डब्ल्यूपीआई महंगाई दर अगले दो महीने तक बढ़ेगी और यह क्रमश: 11 से 11.5 प्रतिशत और 8 से 8.5 प्रतिशत के बीच रहेगी।’ नायर ने कहा कि डब्ल्यूपीआई महंगाई दर में बढ़ोतरी और सीपीआई महंगााई दर पर आगे पडऩे वाले इसके असर से इस बात को बल मिलता है कि वृद्धि को समर्थन करने के लिए नीतिगत दर मेंं कटौती की संभावना बहुत कम है, भले ही कोविड के मामले बढऩे के कारण स्थानीय स्तर पर प्रतिबंध लग रहे हैं और दूरस्थ इलाकों में विस्थापित श्रमिक लौट रहे हैं, जिसकी वजह से अनिश्चितता बढ़ी है।
वित्त वर्ष 21 में सालाना महंगाई दर 1.2 प्रतिशत रही है, जो वित्त वर्ष 20 में 1.7 प्रतिशत थी। यह पिछले 5 साल का निचला स्तर है। विनिर्मित उत्पादों, जिनकी सूचकांक में 64.23 प्रतिशत हिस्सेदारी है, की महंगाई दर मार्च में 7.3 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि फरवरी में इसमें 5.81 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
ईंधन और बिजली का डब्ल्यूपीआई में अधिभार 13.2 प्रतिशत होता है। इसकी महंगाई दर 28 माह के उच्त स्तर 10.25 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो फरवरी में 0.58 प्रतिशत थी और जनवरी में 4.78 प्रतिशत संकुचन आया था।
बार्कलेज इंडिया में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि मासिक आधार पर ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं के दाम में बढ़ोतरी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि थोक महंगाई दर अगले कुछ महीने और बढ़ती रहेगी और सितंबर 2011 के बाद संभवत: पहली बार मई 2021 में दो अंक में पहुंच जाएगी।’
मार्च 2021 में खाद्य सूचकांक 5 माह के उच्च स्तर 5.28 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो फरवरी में 3.31 प्रतिशत और जनवरी में 0.26 प्रतिशत पर था। मार्च में दाल 13.15 प्रतिशत महंगी हुई है, जबकि फरवरी में 10.25 प्रतिशत महंगी हुई थी। फलों की महंगाई दर भी 16.33 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 9.48 प्रतिशत थी।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, ‘निकट भविष्य की महंगाई का परिदृश्य बेहतर नहीं है। गर्मियों में सब्जी के दाम बढ़ेंगे और पिछले साल का कम आधार की वजह से कम से कम अगस्त 2021 तक थोक महंगाई दर पर इसका विपरीत असर होगा।’