अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर रिसिप्रोकल टैरिफ (प्रतिशोधी शुल्क) लगाने की धमकी के बाद भारतीय कंपनियां और व्यापार संगठन सतर्क रुख अपनाए हुए हैं। वे इस मामले में आगे की स्थिति का आंकलन कर रहे हैं।
मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, भारत का अमेरिका के साथ 45 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस (Trade Surplus) है, जो अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस रखने वाले देशों में सातवें स्थान पर है। विश्लेषकों का कहना है कि ऑटो कंपोनेंट्स, स्टील, दवाएं (Pharmaceuticals) और वस्त्र जैसे उद्योग इस टैरिफ से प्रभावित हो सकते हैं।
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) के महानिदेशक विन्नी मेहता का कहना है कि भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री इस स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है।
मेहता कहते हैं, “प्रतिस्पर्धात्मकता हमेशा सापेक्ष होती है, हमारी प्रतिस्पर्धा इस बात पर भी निर्भर करेगी कि हमारे प्रतिद्वंद्वियों पर क्या शुल्क लगाया जाता है। अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, क्योंकि यह लगातार विकसित हो रही है।”
वित्त वर्ष 2024 में भारत ने अमेरिका को 6.79 अरब डॉलर के ऑटो पार्ट्स निर्यात किए। कुल ऑटो कंपोनेंट निर्यात 21.2 अरब डॉलर रहा, जबकि अमेरिका से 1.63 अरब डॉलर के ऑटो कंपोनेंट्स का आयात किया गया, जो कुल 20.9 अरब डॉलर के आयात का हिस्सा था।
स्टील इंडस्ट्री को भी इस टैरिफ के असर को लेकर चिंता है। उन्हें डर है कि इससे चीन से भारत में स्टील की डंपिंग (सस्ते दामों पर भारी मात्रा में आयात) बढ़ सकती है।
इंडियन स्टील एसोसिएशन (ISA) के अध्यक्ष और जिंदल स्टील एंड पावर के प्रमोटर नवीन जिंदल ने अमेरिकी टैरिफ पर गहरी चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा, “हाल ही में अमेरिका द्वारा स्टील पर लगाए गए 25% टैरिफ से सभी निर्यातक देशों के लिए एक समान स्थिति बन गई है। यह भारत के लिए अवसर है कि वह अपनी स्थिति मजबूत करे। हमें उम्मीद है कि अमेरिका भारतीय कार्बन स्टील पर लगाए गए 100% से अधिक के एंटी-डंपिंग ड्यूटी (ADD) और काउंटरवेलिंग ड्यूटी (CVD) की समीक्षा करेगा और चीन की जगह भारत को इस बाजार में अवसर मिलेगा।”
भारत का अमेरिका को कार्बन स्टील निर्यात पहले से ही ADD और CVD की वजह से बहुत कम है।
जिंदल कहते हैं, “फिर भी, यह फैसला हमारे लिए स्थिति को और कठिन बना देगा। अमेरिका के अपने बाजार को बंद करने से अतिरिक्त स्टील भारत में आ जाएगा, जिससे घरेलू उद्योग को नुकसान होगा, कीमतें गिरेंगी और अनुचित प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।”
ISA ने भारत सरकार से अपील की है कि वह अमेरिका से इन प्रतिबंधों को हटाने के लिए राजनयिक स्तर पर बातचीत करे।
BNP Paribas के एक विश्लेषक के अनुसार, अगर अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाया, तो भारत में स्टील आयात बढ़ सकता है, जिससे भारतीय स्टील की कीमतों पर दबाव पड़ेगा।
उन्होंने कहा, “भारतीय नीति निर्माता भी स्टील आयात पर 25% टैरिफ लगाने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन अभी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।”
PHDCCI (पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) के अध्यक्ष हेमंत जैन का कहना है कि भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते काफी मजबूत हैं।
वह कहते हैं, “अमेरिका कई वर्षों से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। पिछले 10 वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच मर्चेंडाइज ट्रेड (वस्तु व्यापार) में लगातार मजबूती आई है।”
भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, इसकी रणनीतिक स्थिति, और वैश्विक भू-राजनीतिक बदलावों को देखते हुए, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंध और मजबूत होने की उम्मीद है।
जैन कहते हैं, “हमें नहीं लगता कि टैरिफ में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होगी, क्योंकि व्यापारिक संबंध हमेशा दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए लाभदायक बनाए जाते हैं। अमेरिका भी भारत को बड़े पैमाने पर निर्यात करता है, ऐसे में अगर द्विपक्षीय टैरिफ बढ़ते हैं, तो यह किसी भी देश के लिए फायदेमंद नहीं होगा।”
भारत के पास मध्य पूर्व, दक्षिण अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशियाई देशों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध हैं। उन्होंने आगाह करते हुए कहा, “कोई भी जल्दबाजी में लिया गया निर्णय किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक नहीं होगा।”
जैन कहते हैं, “भारत के पास अपने व्यापार मार्गों को और अधिक विविध करने के कई विकल्प हैं, क्योंकि हाल के वर्षों में भारतीय उत्पादों की मांग, मूल्य प्रतिस्पर्धा और आपूर्ति दक्षता बढ़ी है।”