लगातार दूसरे महीने मनरेगा योजना के तहत काम की मांग 2020 की तुलना में कम रही, जो इस साल के लिए असाधारण वर्ष था।
ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि करीब 3.51 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत जून, 2021 में काम की मांग की, जो 2020 में इस माह के दौरान काम की मांग की तुलना में करीब 21.48 प्रतिशत कम है।
मई, 2021 में 2.76 करोड़ परिवारों ने इस योजना के तहत काम की मांग की थी, जो पिछले साल के समान महीने की तुलना में 26.01 प्रतिशत कम था।
लेकिन मई महीने में मांग में कमी मुोख्य रूप से कोरोना के मामले बढऩे की वजह से आई, क्योकि दूसरी लहर ने गांवों को बुरी तरह चपेट में ले लिया था।
जून, 2021 में लगातार दूसरे महीने काम की मांग में कमी इसलिए भी हो सकती है क्योंकि कोरोना के मामले घटने के कारण विस्थापित श्रमिक शहरों की ओर काम पर लौटने लगे थे और कोविड संबंधी प्रतिबंध धीरे धीरे खत्म किए जा रहे थे।
मनरेगा संघर्ष मोर्चा से जुड़े देवमाल्य नंदी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पिछले साल की तुलना में मनरेगा में काम की मांग में हम 15-20 प्रतिशत कमी की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि बड़ी संख्या में लोग शहरों में अपने नियमित कामकाज पर फिर से वापस लौट आए और यह मांग के आंकड़ों में नजर आ रहा है।’ हालांकि नंदी का कहना है कि मनरेगा पर काम की मांग के आंकड़े कम करके दिखाए हुए हो सकते हैं, जो संभवत: मांग का सही अनुमान न हो और जमीनी स्तर पर काम की जरूरत हो।
बहरहाल मनरेगा में काम की मांग के हिसाब से वर्ष 2020 असाधारण साल था, क्योंकि देशव्यापी लॉकडाउन लगााय गया था और बड़े पैमाने पर विस्थापित होकर लोग शहरों से ग्रामीण इलाकों में पहुंचे थे। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि मांग के विश्लेषण का बेहतर तरीका यह हो सकता है कि इसकी तुलना एक सामान्य साल से की जाए।