कल चमन था, आज..

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 11:07 PM IST

‘दो साल पहले आलू बेचकर लौट रहे किसान रास्ते में नए मॉडल की कार देख कर उसे खरीदने के लिए शो-रूम पहुंच जाते थे, लेकिन आलू किसान इस साल अपनी गाड़ी बेचने के लिए ग्राहक तलाश रहे हैं।’


‘1999-2000 की तरह इस बार भी सड़कों पर आलू फेंकने की नौबत आ सकती है। किसानों ने अपने घरों में शादी-ब्याह तक को टाल दिया है।’ पंजाब के आलू किसानों कीजुबां पर ये बातें इन दिनों आम हो चली हैं।

जालंधर के जंडूसिंहा गांव के आलू किसान जसविंदर सिंह सांगा मोबाइल फोन से कोल्ड स्टोरेज का जायजा ले रहे हैं। उन्हें अपने किसान साथी से मिली सूचना से आलू को बचाने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।

असल में इन किसानों को पिछले साल सितंबर से नवंबर-दिसंबर के दौरान भी घाटे के साथ मात्र 4-5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से आलू बीज बेचना पड़ा था। लेकिन इस साल तो हद ही हो गई है।

अगर किस्मत अच्छी रही, तो आलू बीज की कीमत 3-3.50 रुपये प्रति किलोग्राम मिल सकती है यानी प्रति किलोग्राम कम से कम 3 रुपये का घाटा।

पंजाब के दोआब क्षेत्र के 5500 से अधिक आलू किसान बर्बादी के कगार पर खड़े हैं। दोआब क्षेत्र के तहत मुख्य रूप से जालंधर, कपूरथला, लुधियाना, होशियारपुर जैसे इलाके आते हैं।

खेल घाटे का

दोआब क्षेत्र के 25,000 हेक्टेयर जमीन के आलू की बिक्री जारी है। उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी अधिक है। इनकी कीमत जालंधर की मंडी में 150-200 रुपये प्रति क्विंटल चल रही है।

किसानों के मुताबिक उन्हें प्रति एकड़ 7-8 हजार रुपये का घाटा हो रहा है।किसान हरविंदर सिंह खैरा कहते हैं, ‘दो साल पहले (2007) खाने वाले आलू में खराबी आ गयी थी तब भी मंडी में आलू की कीमत 300 रुपये प्रति क्विंटल से कम नहीं हो पायी।’

किसानों के मुताबिक आलू की कीमत अच्छी मिलती है, तो आलू बीज भी ऊंचे भाव पर बिकते हैं और आलू की कीमत कम होने पर आलू बीज के भाव भी जमीन पर आ जाते हैं।

आलू किसानों की दास्तां

आलू बीज की हुई दुर्गति

पंजाब में आलू बीच की खेती करने वाले किसानों पर मुसीबत का पहाड़ टूट गया है। उन्हें लागत से भी आधे दाम पर बीच बेचने पड़ रहे हैं, जिससे घर बेचने तक की नौबत आ गई है।

First Published : January 25, 2009 | 11:58 PM IST