छोटे कारोबारी और स्टार्टअप खुद को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के तौर पर पंजीकृत कराने की होड़ में जुटे हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश को सरकार की ओर से हाल में घोषित बहुचर्चित वित्तीय लाभों से कोई मदद नहीं मिलेगी।
एमएसएमई पर एक राष्ट्रव्यापी रिपोर्ट के मुताबिक एमएसएमई पिछले साल से ही नकदी संकट से जूझ रहे हैं। इस सबके बीच सरकार ने अनुमानित तौर पर 45 लाख इकाइयों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के ऋण की घोषणा की है। जमानत मुक्त, स्वत:, आवधिक ऋण 31 अक्टूबर तक के लिए मुहैया कराई गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि यह ऋण केवल उन कारोबारियों के लिए है जिनके ऊपर पहले से ही 25 करोड़ रुपये तक का बकाया है।
ऐसी खबर आ रही है कि देश भर से स्टार्टअप और छोटे कारोबारी एमएसएमई मंत्रालय के पंजीकरण पोर्टल पर नकदी प्राप्त करने और दूसरे लाभों की उम्मीद में लॉग इन कर रहे हैं। लेकिन स्थिति बिल्कुल अलग है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इन ऋणों को अतिरिक्त कार्यशील पूंजी वित्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसे उन कंपनियों को दिया जाएगा जिन्होंने पहले ही ऋण लिया हुआ है और जिनका कारोबार 100 करोड़ रुपये तक है। यह रकम 29 फरवरी, 2020 तक कंपनी के ऊपर बकाया ऋण का अधिकतम 20 फीसदी तक होगा। साथ ही बकाया ऋण उस तारीख से कम से कम 60 दिन पुराना होना चाहिए।’
अधिकारी ने कहा इन ऋणों पर ब्याज बहुत अधिक है क्योंकि इकाई को अपने स्तर पर कोई गारंटी या जमानत नहीं देनी है। रकम पर 100 फीसदी गारंटी भारत सरकार की होगी, जिसके तहत कुल 3 लाख करोड़ रुपये की नकदी 45 लाख से अधिक एमएसएमई को मुहैया कराई जाएगी।
फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो ऐंड स्माल ऐंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एफआईएसएमई) के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा, ‘इस फंड को प्राप्त करने की योग्यता बिल्कुल भिन्न है। इसका इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि कोई इकाई सरकार के एमएसएमई वेबसाइट पर पंजीकृत है कि नहीं। इसकी पात्रता केवल इतनी है कि वह इकाई पहले से बैंक से लेनदेन कर रही है और उस पर बकाया ऋण है।’
इस हफ्ते मंत्रिमंडल ने गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) वाले या दबावग्रस्त दो लाख एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये के सहायक ऋण को मंजूरी दी।
सरकार सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारंटी निधि ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) को 4,000 करोड़ रुपये देगी। यह ट्रस्ट एमएसएमई को बिना जमानत या तीसरे पक्ष की गारंटी की परेशानी उठाए बैंक ऋण लेने की अनुमति देता है। हालांकि, सरकार समूचे 20,000 करोड़ रुपये की गारंटी देगी।
एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मौजूदा एनपीए नियम दबावग्रस्त की श्रेणी वाली एमएसएमई को पुनर्गठन की इजाजत नहीं देता है। बैंकों से ऐसे एमएसएमई के प्रमोटरों को इकाई में उनकी मौजूदा हिस्सेदारी के 15 फीसदी के बराबर सहायक ऋण देने की उम्मीद की जा रही है। गडकरी ने कहा कि ऋण की रकम अधिकतम 75 लाख रुपये तक सीमित होगी और ब्याज की दर निम्न रखी जाएगी।