अमीरों के लिए अत्याधुनिक निवेश फंड ऐसे तरीके तलाश रहे हैं जिनके जरिये उनके कुछ निवेशक विशेष सौदों के जरिये कुछ चुनिदंा कंपनियों में फंडों द्वारा गई खरीदारी से अतिरिक्त हिस्सेदारी हासिल कर सकें।
इस बदलाव से संबंधित लोगों का कहना है कि कम से कम एक फंड ने ऐसे सौदे तलाश हैं और इस बारे में नियामकीय स्पष्टता हासिल करने के प्रयास भी किए हैं।
वैश्विक रूप से किसी निजी इक्विटी फंड में निवेशकों को योजना में निवेशित कंपनियों में व्यक्तिगत आधार पर अतिरिक्त हिस्सा खरीदने की अनुमति होती है। यह को-इन्वेस्टमेंट फंड में अलग अलग माध्यमों के जरिये किया जाता है, जो निवेशकों के एक छोटे वर्ग से संबंधित है। जेपीमॉर्गन चेज द्वारा अक्टूबर में जारी की गई रिपोर्ट ‘प्राइवेट इक्विटी को-इन्वेस्टिंग’ के अनुसार, करीब 60 प्रतिशत निजी इक्विटी निवेशक 2020 में को-इन्वेस्टमेंट अवसरों की योजना बना रहे थे, जबकि 2012 में ऐसे निवेशकों का प्रतिशत 24 था।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दरअसल, कैम्ब्रिज एसोसिएट्स का मानना है कि वैश्विक निजी इक्विटी सह-निवेश पूंजी कुल निवेश का 60 अरब डॉलर (या 20 प्रतिशत) रही होगी। सह-निवेश कम लागत पर ऊंचे प्रतिफल का स्रोत हो सकते हैं, लेकिन इनमें जोखिम भी होते हैं और क्रियान्वयन पर अमल सतर्कता के साथ किया जाना चाहिए।’
प्राइस वाटर हाउस के प्रिंसीपल तुषार सचाडे का कहना है कि वैश्विक क्षेत्राधिकारों ने वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) को या तो अलग एसपीवी (विशेष उद्देश्य वाली कंपनियां) बनाकर या फंड में इन्हें पुनर्गठित करने की अनुमति दी है। एसपीवी को सीमित देनदारी वाली भागीदारी या अन्य ढांचों के जरिये भारत में तैयार किया जा सकता है। हालांकि ऐसी कंपनियों के निर्माण के बारे में अभी कोई नियामकीय स्पष्टता नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘इसे लेकर अनिश्चितता है कि क्या इन एसपीवी को एआईएफ नियमों का पालन करने की जरूरत होगी।’
चूंकि ये एसपीवी मुख्य तौर पर सिंगल निवेश से जुड़े होंगे, लेकिन उनके लिए सेबी के एआईएफ संबंधित नियमों पर अमल करना मुश्किल होगा, क्योंकि उनमें एसपीवी को किसी एक कंपनी से ज्यादा में निवेश करने की जरूरत होती है। कैटेगरी 1 और 2 एआईएफ किसी एक कंपनी में अपने फंड का 25 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा निवेश नहीं कर सकते। यह सीमा कैटेगरी-3 एआईएफ के लिए 10 प्रतिशत है।
इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (आईएफएससीए) ने गुजरात की गिफ्ट सिटी में स्थित एआईएफ के लिए दिसंबर में को-इन्वेस्टमेंट की अनुमति दी थी। आईएफएससी की स्थापना भारत में निवेश करने वाले फंडों के लिए वैश्विक क्षेत्राधिकार के लिए विकल्प मुहैया कराने के मकसद से की गई है।
दिसंबर 2020 के एक सर्कुलर के अनुसार, ‘आईएफएससी में एआईएफ को अलग श्रेणी की यूनिट जारी कर पोर्टफोलियो के जरिये पोर्टफोलियो कंपनी में को-इन्वेस्टमेंट की अनुमति है।’ इसमें कहा गया कि निवेशकों को समान रूप से समझा जाना चाहिए, चाहे वे को-इन्वेस्टमेंट व्यवस्था के जरिये निवेश करें या फंड के जरिये।