प्रवर्तन निदेशालय ने फर्जी क्रिप्टोकरेंसी के सिलसिले में पिछले सप्ताह देश के 11 स्थानों पर छापेमाारी की थी। मॉरिस कॉइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी ने आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) की तर्ज पर ‘आरंभिक कॉइन पेशकश’ की थी। जांच एजेंसियां इस घोटाले का आकार 1,255 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगा रही हैं। वहीं इसके शिकार बने स्टॉकिस्ट, जो मॉरिस कॉइन टीम के हिस्सा थे, इस मामले पर न्यायालय में मुकदमा लड़ रहे वकीलों और पुलिस अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के 11 लाख निवेशकों को इस योजना से 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगा है।
जिन कंपनियों पर छापा मारा गया है, उनमें बेंगलूरु की लांग रिच टेक्नोलॉजिज, लांग रिच ग्लोबल और मॉरिस ट्रेडिंग सॉल्यूशंस के अलावा अन्य शामिल हैं। सभी कंपनियां निषाद के चला रहा था, जो कथित रूप से घोटाले का मुख्य आरोपी है और अब विदेश में है।
कन्नूर के सहायक पुलिस आयुक्त और वित्तीय धोखाधड़ी के विशेषज्ञ पीपी सदानंदन ने कहा, ‘उन्होंने मनी चेन मॉडल से शुरू किया, जिसे बाद में मॉरिस कॉइन में बदल दिया। दरअसर किसी को उनके खातों में कॉइन नहीं मिला। कुल 1,265 करोड़ रुपये के घोटाले में करीब 1,000 करोड़ रुपये का कारोबार एलआर ट्रेडिंग (मल्टी लेवल मार्केटिंग) से हुआ।’ सदानंदन की टीम ने अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है।
घोटालेबाजों ने निवेशकों को बेहतर मुनाफे का लालच देकर फंसाया। न्यूनतम 15,000 रुपये के निवेश पर 300 दिन तक रोजाना 270 रुपये सुनिश्चित मुनाफे का आश्वासन दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि संभवत: कुछ लोगों को भारी नुकसान हुआ हो और काला धन लगाने के कारण वे सामने न आए हों। एमबॉस लीगल सॉल्यूशंस के वकील ओमर सलीम ने कहा, ‘मैं करीब 400 क्लाइंट का मुकदमा लड़ रहा हूं, जिन्होंने अवैध रैकेट के खिलाफ शिकायत की है। दिलचस्प है कि ज्यादा शिकायतें आम लोगों से आ रही हैं। जिन लोगों ने 40 लाख रुपये से ज्यादा निवेश किया है, वे कानून का सहारा लेने से हिचकिचा रहे हैं। कंपनी के विज्ञापनों में दावा किया गया है कि उसका ग्राहक आधार 11 लाख लोगों का है, अगर ऐसा है तो घोटाला कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है।’ यह धन प्रमुख स्टॉकिस्टों के माध्यम से निवेशकों से एकत्र किया गया। इसे कथित रूप से दक्षिण भारत के प्रमुख बैंकों में निषाद के खातों और लांग रिच के कॉर्पोरेट खातों में ट्रांसफर किया गया। प्रवर्तकों ने बाद में इस धन को 3 राज्यों में अचल संपत्तियों में लगा दिया और कथित रूप से फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में लगाया। एक प्रमुख स्टॉकिस्ट ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘पहले उन्होंने ऑनलाइन एजूकेशन ऐप्लीकेशन स्टडी मोजो शुरू किया। हमसे ऐप्लीकेशन के लिए क्लाइंट लाने को कहा गया। बाद में हम भी इस धोखाधड़ी में फंस गए।’
घोटाले में में तमाम ऐसे निवेशक फंस गए जिन्होंने बैंक से कर्ज लेकर ज्यादा मुनाफे की लालच में धन लगाया था। इनमें ट्रेन में चाय बेचने वालों से लेकर वाहन चालक जैसे कम आय वर्ग के लोग शामिल हैं।
बहरहाल इनमें से कुछ लोगों ने ही पुलिस से संपर्क साधा है। इसकी वजह यह है कि इस तरह की योजनाओं में निवेश करना अपराध की श्रेणी में आता है।
तमाम निवेशक ऐसे हैं, जिन्हें अभी भी भरोसा है कि कंपनी उन्हें उनका धन वापस दे सकती है। ऐसे ही एक निवेशक का कहना है, ‘यह मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम है। मैंने अपने बैंक खातों में पैसे वापस पाए। यह अवैध कैसे हो सकता है।’