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कर्ज लेने वाले 75 प्रतिशत लोगों को योजना का लाभ

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 10:11 PM IST

भारतीय रुपये में सोमवार को भारी गिरावट दर्ज हुई क्योंकि यूरोप एक बार फिर कोरोनावायरस महामारी की गिरफ्त में आ गया और ऐसे जोखिम ने डॉलर इंडेक्स को उच्चस्तर की ओर धकेल दिया। डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 24 पैसे टूटकर 73.85 पर बंद हुआ क्योंंकि अहम मुद्राओं के मुकाबले डॉलर चढ़ा और राष्ट्रीयकृत बैंकों ने माह के आखिर के तेल आयात बिल को पूरा करने के लिए डॉलर की खरीदारी की। डॉलर इंडेक्स 0.27 फीसदी चढ़कर 93.02 पर पहुंच गया।
यह पता नहीं चल पाया कि क्या आरबीआई ने अपने भंडार को मजबूत करने के लिए डॉलर खरीदा या नहीं, लेकिन करेंसी डीलरों ने कहा कि 565 अरब डॉलर पर भंडार पर्याप्त से ज्यादा है और केंद्रीय बैंक अपना फंडार मजबूत कर चुका है। इस परिदृश्य में अगर पोर्टफोलियो प्रवाह मजबूत रहता है तो रुपया स्वाभाविक तौर पर मजबूत होगा। लेकिन कुछ समय से ऐसा नहींं हो रहा है क्योंकि निर्यातकों के लिए मजबूत रुपया जरूरी है और केंद्रीय बैंक निर्यातकों को ऐसे समय मेंं चोट नहींं पहुंचाना चाहता जब कुल निर्यात में सिकुडऩ हो।
करेंसी डीलरों ने कहा, इसके अलावा डॉलर को जोडऩे से भी बैंकिंग सिस्टम में तरलता बढ़ रही है, जो बॉन्ड प्रतिफल को नीचे रखने के लिए जरूरी है औ प्रभावी ट्रांसमिशन के लिए भी।
आईएफए ग्लोबल के प्रबंध निदेशक और सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा, आरबीआई रुपये को मजबूत नहीं होने दे रहा है ताकि चीन की मुद्रा में हुई हालिया बढ़ोतरी का फायदा उठाया जा सके। लेकिन चीन की मुद्रा भी सोमवार को 0.44 फीसदी कमजोर हुई। रुपया भी टूटा और डॉलर के मुकाबले उसमें 0.34 फीसदी की गिरावट आई।
गोयनका ने कहा, एशिया की अन्य मुद्रा की तरह रुपया भी नजदीकी से डॉलर का पीछा कर रहा है। अगर डॉलर मेंं अचानक कमजोरी आती है तो रुपया चढ़ेगा, लेकिन अल्पावधि में इसकी संभावना काफी कम है। उनका अनुमान है कि अगले कुछ महीने में डॉलर के मुकाबले रुपया 72.5-76 के दायरे में रहेगा।
सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पबरी का अनुमान है कि डॉलर के मुकाबले रुपया 72.5-73.5 के दायरे में रहेगा क्योंकि डॉलर में कमजोरी बनी रह सकती है जो रुपये व अन्य उभरते देशों की मुद्राओं को चीन की मुद्रा के साथ मजबूत करेगा।

First Published : October 27, 2020 | 1:01 AM IST